बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी देखनी चाहिए 'Inside Out 2’, कैसे इमोशंस और साइकोलोजिकल रूप से बनाएगी आपको ज्यादा स्ट्रोंग

अधिकतर पेरेंट बच्चों दुनिया की हर परेशानी से बचाकर रखना चाहते हैं और इसके कारण बच्चे दुनिया उन सच्चाइयों से दूर रह जाते हैं जिन्हें समझना जरूरी होता है. फिल्म इन साइड आऊट 2 कई चीजों को लेकर चर्चा में है.

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चर्चा में हैं बच्चों के लिए आई फिल्म ‘इन साइड आऊट-2’.

Parenting Tips: बच्चों की सही तरीके की पेरेटिंग (Parenting) आजकल चर्चा का विषय है. हालांकि आमतौर पर अधिकतर पेरेंट बच्चों (Kids) दुनिया की हर परेशानी से बचाकर रखना चाहते हैं और इसके कारण बच्चे दुनिया उन सच्चाइयों से दूर रह जाते हैं जिन्हें समझना जरूरी होता है. आजकल इस विषय पर कई किताबें आ चुकी है. फिलहाल एक फिल्म इन  साइड आऊट 2 (Inside Out 2) कई चीजों को लेकर चर्चा में है. फिल्म एक 11 साल की लड़की के बारे में है जिसे नए शहर में नए दोस्त बनाने की चुनौती फेस करनी पड़ती है. आइए जानते हैं इस फिल्म को अपने बच्चों के साथ क्यों देखना चाहिए और इस फिल्म से क्या सीख मिलती है.

फिल्म इन  साइड आऊट-2 से सीख (Biggest Takeaways from Film Inside Out 2)

निगेटिव इमोशंस को दबाएं नहीं

बच्चों में पोजिटिव इमोशंस पैदा करने पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है. जबकि बच्चों को उनके निगेटिव इमोशंस को भी स्वीकार करना और संभालना सिखाना जरूरी है. अक्सर हम उन्हें "इतना गुस्सा मत हो!', "तुम्हें दुखी नहीं होना चाहिए!', जैसी बातें कहते रहते हैं. लेकिन जब कोई व्यक्ति क्रोधित, उदास या असुरक्षित महसूस करता है तो वह क्या करेंगा?

ये बिल्कुल सामान्य हैं और बच्चों को यह समझने की ज़रूरत है कि उन्हें सही तरीके से कैसे संभालना है बजाय इसके कि बड़े होकर वे वयस्क बनें जो अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने में असमर्थ हैं. यह फिल्म विभिन्न भावनाओं को खूबसूरती से प्रस्तुत करती है और निगेटिव इमोशंस को संबोधित करने से नहीं कतराती है.

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एंग्जाइटी के बारे में बात करने की जरूरत

फिल्म ईर्ष्या, शर्मिंदगी और चिंता जैसी नई भावनाओं का परिचय देती है, और प्राकृतिक और सुरक्षात्मक भावना के रूप में चिंता के महत्व पर प्रकाश डालती है. मनोवैज्ञानिक लिसा डामोर ने चिंता के यथार्थवादी चित्रण के लिए एनपीआर पर फिल्म की प्रशंसा की है.

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सेल्फ कंपैशन

अपनी कमियों के बारे में सोचना, कुछ मायनों में काम करता है लेकिन अपने प्रति बहुत ज्यादा कठोर होना ठीक नहीं है. फिल्म "इनसाइड आउट -2 मजबूत भावनाओं से निपटने में सेल्फ कंपैशन के महत्व पर जोर देता है, दर्शकों को खुद के प्रति दयालु होने के लिए प्रोत्साहित करता है और समझता है कि भावनाओं को खत्म करने के बजाय उन्हें मैनेज करना ज्यादा बेहतर है.

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पुराने और नए दोस्त

फिल्म एक ऐसे विषय पर भी बात करती है हम सभी रिलेट कर सकते हैं. यह नए दोस्तों और पुराने रिश्तों को संतुलित करने की चुनौतियों पर बात करती है. फिल्म में सार्थक संबंधों को बनाए रखने में प्रामाणिकता, विश्वास और आपसी समर्थन के महत्व को दिखाया गया है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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