Signs of Narcissist Parents: हद से ज्यादा आत्ममुग्धता एक तरह की मेंटल हेल्थ (Mental Health) से जुड़ी परेशानी है और नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (NPD) कहते हैं. इसके लक्षणों में अपने आप को बहुत ज्यादा महत्व देना, लोगों को बहुत ज्यादा ध्यान देने या प्रशंसा करने पर मजबूर करना, दूसरों के प्रति सहानुभूति के भाव की कमी शामिल हैं. आजकल अपने आप पर मुग्ध रहने वालों की कमी नहीं है. ऐसे लोग आपको ऑफिस से लेकर दोस्तों के बीच मिल सकते हैं लेकिन बात जब आत्म मुग्ध पेरेंट (Narcissist Parents) की आती हैं तो परेशानी काफी बढ़ सकती है. आइए जानते हैं आत्ममुग्ध पेरेंट के लक्षण (Signs of Narcissist Parents) और उनसे डील करने के तरीकें.
Signs of Narcissist Parents | नार्सिसिस्टिक पेरेंट्स/आत्ममुग्ध माता-पिता के लक्षण और इससे कैसे निपटें
भावनात्मक मदद नहीं करना
आत्ममुग्ध पेरेंट आपसे भावनात्मक मदद चाहते हैं. जब वे अपनी किसी परेशानी के बारे में बात करना चाहते हैं तो वे आपसे चाहते हैं कि आप उनकी बात सुने. लेकिन जब कभी आप अपनी कोई बात उनसे शेयर करना चाहते हैं तो अक्सर आपकी बात नहीं सुनते हैं या उसे बहुत सामान्य बताकर हवा में उड़ा देते हैं.
बहुत ज्यादा नियंत्रण
आत्ममुग्ध पेरेंट अक्सर एडल्ट हो चुके संतान पर भी बहुत ज्यादा नियंत्रण रखना चाहते हैं. यहां तक कि क्या पहनना है से लेकर क्या खाना है जैसी रोजमर्रा की बातों में दखल देते हैं.
सीमा को पार करना
आत्ममुग्ध पेरेंट अक्सर एडल्ट हो चुके संतान के साथ रिश्ते में सीमा की परवाह नहीं करते हैं और उनकी निजी जीवन में दखल देते रहते हैं. यहां तक कि आपकी निजी बातचीत सुनने और उससे जुड़ी पूछताछ भी कर सकते हैं.
बहुत ज्यादा मीनमेख निकलना
आत्ममुग्ध पेरेंट को बहुत ज्यादा मीनमेख निकालने की आदत होती है. उन्हें आपका कोई काम पसंद नहीं आता है. आपकी छोटी से छोटी गलती पर नाराजगी जताना उसके लिए आपको परेशान करना उनकी आदत हो सकती है.
कंडीशनल प्यार
आत्ममुग्ध पेरेंट अक्सर बच्चों को बताते हैं कि अगर वे ऐसा करेंगे तभी वे उनसे प्यार करेंगे. यानी प्यार के लिए शर्त बनाते रहते हैं. अगर आप उनकी कोई बात नहीं मानते हैं तो इमोशनल ड्रामा शुरू हो जाता है.
आत्ममुग्ध पेरेंट से व्यवहार (How to cope with Narcissist Parent)
आत्ममुग्ध पेरेंट के साथ व्याहार करना आसान नहीं है लेकिन कुछ उपाय काम आ सकते हैं. इसके लिए अपने रिश्ते में सीमा तय करें और उनसे खुलकर बात करें कि इन चीजों वे अपनी रुचि के अनुसार ही काम करना चाहते हैं. इसके साथ ही भावात्मक रूप से उन पर निभरता को कम करना भी जरूरी है. इस समस्या के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद भी ली जा सकती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)