अत्यधिक गर्मी एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम का कारण होती है. यह उन लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है स्पेशली जो सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित हैं, और ऐसे लोग जिनकी जीवनयापन करने की शारीरिक क्षमता कम हो गई है, जैसे कि वृद्ध और कुछ स्पेशल केस वाले लोग. गर्भवती माताएं भी इससे असुरक्षित होती हैं, हाल ही में सबूतों से पता चला है कि अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से बच्चे के लिए खतरा बढ़ जाता है. (एड्रिएन गॉर्डन, केमिली रेन्स-ग्रीनो और ओली जे, सिडनी विश्वविद्यालय) की स्टडी से ये पता चला है कि साल 2023 सबसे गर्म वर्ष में से एक था.
क्या हैं खतरे?
ग्लोबल लेवल पर हर 16 सेकंड में एक मृत बच्चे का जन्म होता है और हर साल डेढ़ करोड़ बच्चे समय से पहले (गर्भावस्था के पूरे 37 सप्ताह से पहले) पैदा होते हैं. समय से पहले जन्म की समस्याएं पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण हैं.
पर्यावरण के तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के लिए, समय से पहले जन्म और मृत जन्म का जोखिम 5% बढ़ जाता है. ये 27 देशों की स्टडी से पता चला है. गर्मी के कारण मृत शिशु का जन्म और समय से पहले जन्म का जोखिम निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक है, जहां महिलाएं अक्सर कृषि या अन्य शारीरिक श्रम के कार्य करती हैं, और उनका काम उनकी गर्भावस्था के अंत तक जारी रहता है.
हाल के ऑस्ट्रेलियाई शोध में यह भी सुझाव दिया गया है कि मां के अत्यधिक तापमान के संपर्क में आने से बच्चे के जन्म के वजन पर असर पड़ सकता है. ऐसा माना जाता है कि गर्भवती माताओं के शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता में बदलाव के कारण गर्मी से तनाव का खतरा बढ़ जाता है.
-शरीर के द्रव्यमान और फैट में वृद्धि से गर्भवती महिला की पर्यावरण में गर्मी फैलाने की क्षमता कम हो जाती है.
-सतह क्षेत्र और शरीर के द्रव्यमान का अनुपात कम होने से पसीना आना कम प्रभावी हो सकता है.
-शिशु से उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा मां के शरीर के मुख्य तापमान को बढ़ा देती है.
शरीर और शिशु पर क्या प्रभाव पड़ता है-
जब परिवेश का वातावरण गर्भवती महिला के शरीर के मुख्य तापमान से अधिक गर्म होता है (अर्थात जब हवा का तापमान लगभग 38 डिग्री या उससे ऊपर तक पहुंच जाता है) तो पसीना आने के लिए रक्त प्रवाह को त्वचा की ओर मोड़ दिया जाता है. इससे नाल में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है, जिसका अर्थ है कि बच्चे को कम पोषण और ऑक्सीजन मिलने की संभावना हो सकती है.
यदि डिहाइड्रेशन होता है, तो हार्मोनल परिवर्तन में प्रोस्टाग्लैंडीन और ऑक्सीटोसिन का स्राव शामिल हो सकता है, जिससे संभावित रूप से समय से पहले प्रसव हो सकता है. गर्मी के संपर्क से हीट-शॉक प्रोटीन (तनावपूर्ण परिस्थितियों में कोशिकाओं द्वारा उत्पादित प्रोटीन का एक परिवार) भी जारी हो सकता है जो प्लेसेंटल कोशिकाओं और प्लेसेंटल फ़ंक्शन को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे भ्रूण का पोषण प्रभावित हो सकता है, जिससे जन्म के समय वजन कम हो सकता है.
हालांकि, गर्मी के संपर्क में आने के दौरान गर्भवती महिलाओं का वास्तविक थर्मो-फिजियोलॉजिकल डेटा बहुत कम है. हमारी हालिया समीक्षा से पता चला है कि किसी भी अध्ययन ने 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर गर्भवती महिलाओं में थर्मोरेगुलेटरी फ़ंक्शन का आकलन नहीं किया है.
गर्भवती महिलाओं के साथ हमारे बाद के जलवायु कक्ष अध्ययन से पता चला कि गैर-गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ उनके शरीर का तापमान भी 32 डिग्री सेल्सियस तक नियंत्रित होता है.
गर्भावस्था में गर्मी से बचने के 5 तरीके- 5 Ways To Avoid Heat During Pregnancy:
गर्भावस्था के दौरान अधिक गर्मी जोखिम को कम करने वाले उपायों की प्रभावशीलता के प्रमाण सीमित हैं. एयर-कंडीशनिंग असाधारण रूप से सुरक्षात्मक है, हालांकि यह ऑस्ट्रेलिया और ग्लोबल लेवल पर कई लोगों के लिए आसान नहीं है.
कम और ज्यादा आय वाले देशों में जनसंख्या स्तर पर गर्भावस्था के परिणामों पर अत्यधिक गर्मी के प्रभाव के अधिक सबूत हमें गर्भवती महिलाओं और समुदाय की सुरक्षा के तरीके विकसित करने में मदद करेंगे.
इस बीच, अधिक गर्मी के दिनों के खतरे के साथ, गर्भवती होने पर गर्मी से बचने के सिंपल टिप्स-
1) पर्याप्त पानी पिएं - जब भी बाहर जाएं तो अपने साथ पानी की एक बोतल ले जाएं
2) अपने दिन की योजना बनाएं - यदि संभव हो तो दिन के सबसे गर्म हिस्से से बचें. छाया के लिए अपने साथ टोपी या छाता ले जाएं.
3) शांत रहें - यदि संभव हो तो पंखे या एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें, पर्दे बंद रखें, ठंडे सार्वजनिक वातावरण में जाएं
4) ज्यादा तन ढकने वाले कपड़े पहनें - हल्के, लंबी बाजू वाले, हल्के रंग के, प्राकृतिक रेशों जैसे सूती या लिनेन से बने ढीले-ढाले कपड़े पहनें.
5) बच्चे को ब्लड सर्कुलेशन प्रदान करने के लिए रात में और दिन में करवट लेकर सोएं.
इन टिप्स को व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुसार फॉलो करने की आवश्यकता है, और यदि आप अनहेल्दी महसूस करते हैं तो निश्चित रूप से डॉक्टर सलाह लें.
हीट स्ट्रोक के लक्षण- Heat Stroke Symptoms:
-पसीना आना और पीली, ठंडी, नम त्वचा
-चक्कर आना और कमजोरी-सिरदर्द
-मतली या उलटी
-तेज़ नाड़ी चलना और तेज़, सांस लेना
-मांसपेशियों में ऐंठन
-बेहोशी
-बेचैनी और घबराहट महसूस होना
-घमौरियां.
यदि आपको ये लक्षण हैं, तो आराम करने के लिए एक ठंडी जगह ढूंढें, ठंडा पानी या हाइड्रेटेड ड्रिंक पीएं, अतिरिक्त कपड़े हटा दें, ठंडा शॉवर या स्नान करें, या थोड़ी देर ठंडे पानी में अपने पैर डालकर बैठें.
हीटस्ट्रोक का संकेत देने वाले अधिक गंभीर लक्षणों में तेज प्यास लगना, ज़बान लड़खड़ाना, समन्वय भ्रम और आक्रामक या अजीब व्यवहार शामिल हैं. हीटस्ट्रोक एक चिकित्सीय आपात स्थिति है, इसलिए ऐसा होने पर ट्रिपल 0 पर कॉल करें.
द कन्वरशेसन एकता एकता
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)