अस्पताल के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि एक दुर्लभ स्थिति से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को एक जटिल सर्जरी के बाद नया जीवन मिला, जिसमें डॉक्टरों ने उसके हृदय के वाल्व से "6 सेमी लंबी फंगल बॉल" निकाली.
रोगी सुरेश चंद्रा ने कहा कि वे मई 2021 में COVID-19 पॉजिटिव हुए थे और घर पर ठीक हो गए थे, लेकिन कुछ महीने बाद श्री चंद्रा ने कहा कि उन्हें लगातार खांसी और तेज बुखार होने लगा.
कोविड के बाद की कॉम्प्लिकेशन मान ली थी:
"मैंने कई डॉक्टरों से सलाह ली सभी ने इसे कोविड के बाद की जटिलता मान लिया और इसे फेफड़ों के संक्रमण के कारण माना जा रहा था," उन्होंने कहा, उनका पहले एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट हो चुका है.
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अधिकारियों ने कहा कि श्री चंद्रा ने फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों से संपर्क किया, जहां उन्होंने इसे "दुर्लभ फंगल इंफेक्शन जिसे इंफेक्शन एंडोकार्टिटिस कहा जाता है" के रूप में डायग्नोस किया.
6 सेंटीमीटर लंबी फंगल बॉल को निकाला:
उदगीथ धीर, निदेशक और कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस), फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव के प्रमुख के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने केस को मैनेज किया और एक जटिल सर्जरी के माध्यम से रोगी के 6 सेंटीमीटर लंबी फंगल बॉल को सफलतापूर्वक निकाला.
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दुनियाभर में दुर्लभ है ये मामला:
"यह एक बहुत ही दुर्लभ मामला है, कभी-कभी दुनिया भर में कार्डियक सर्जरी के रोगियों में पाया जाता है और बचने की संभावना केवल 50 प्रतिशत होती है," यह कहा भी कहा. मरीज की कुछ महीने पहले सर्जरी हुई थी. उनकी देखरेख में सर्जरी के बाद "एंटी-फंगल IV अगले 45 दिनों तक जारी रहा". उन्होंने कहा कि मरीज स्थिर हो गया और पूरी तरह से ठीक हो गया है.
"सर्जरी से पहले, रोगी का हार्ट वर्क 25 प्रतिशत तक गिर गया था और वह शॉक फेलियर में था (शरीर में संक्रमण ने हार्ट फंक्शन से कॉम्प्रोमाइज किया था और सांस लेने में कठिनाई हुई थी).
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"डॉक्टरों ने विशेष फिल्टर का उपयोग करके और जितना संभव हो सके संक्रमण को दूर करने के लिए रोगी को कृत्रिम हार्ट लंग्स की मशीन पर रखकर उसके शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए एक हाई रिस्क वाली रेडो एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी की."
डॉ धीर ने कहा, "फंगल एंडोकार्टिटिस एक बहुत ही असामान्य मामला है, जो हृदय के महाधमनी वाल्व में होता है. इस रोगी में, फंगल बॉल हार्ट के एओर्टिक वाल्व के लगभग 7 सेमी को कवर करती है जो कि एक दुर्लभ स्थिति भी है.
इस स्थिति में बचने के चांस बहुत कम:
"ऐसे मामलों में 50 प्रतिशत लोग मर जाते हैं और सफलता दर कम होती है क्योंकि हर दिल की धड़कन के साथ, भारी फंगल बॉल बाहर निकल रही थी, जिसके परिणामस्वरूप एक बड़ा लकवा का दौरा, एक किडनी या एक अंग की समस्या हो सकती थी".
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"प्लेटलेट्स भी संख्या में बहुत कम थे यानी 1,00,000 से कम थे और उनका ऑपरेशन करना कठिन था. चूंकि रोगी पहले ही एओर्टिक वाल्व की सर्जरी कर चुका था, हमने फंगल एंडोकार्टिटिस के साथ एक फिर से सर्जरी की.
उन्होंने कहा, "हमने उनका वाल्व बदल दिया और तीन महीने के बाद, इकोकार्डियोग्राफी के माध्यम से उनका इवैल्यूएशन किया, जिससे पता चला कि वाल्व ठीक काम कर रहा है, और शरीर में अभी तक संक्रमण का कोई लेवल नहीं है."