बुखार, थकान और नींद की कमी, कैंसर के मरीज में क्यों दिखते हैं ये लक्षण, कैसे करें स्लीप साइकिल में सुधार, आसान उपाय

Better Sleep Tips: क्या आप भी नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो इन घरेलू उपायों को अपना कर इसे दूर कर सकते हैं.

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Better Sleep: कैंसर के दौरान नींद क्यों बन जाती है चुनौती.

नींद हमारे जीवन का एक बहुत ही अहम हिस्सा है. यह न सिर्फ शरीर को आराम देती है, बल्कि दिमाग को तरोताजा रखती है. साथ ही हमारी याददाश्त और सोचने की क्षमता को भी बेहतर बनाती है, लेकिन जब कोई व्यक्ति कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा होता है, तो नींद अक्सर एक चुनौती बन जाती है. रात भर नींद न आने या बार-बार टूटने की समस्या सिर्फ थकान ही नहीं बढ़ाती, बल्कि इलाज की प्रक्रिया पर भी असर डाल सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर के लगभग हर दूसरे मरीज को किसी न किसी तरह की नींद संबंधी समस्या होती है. इससे मरीज का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य और कमजोर हो सकता है.

कैंसर शरीर और दिमाग दोनों पर भारी असर डालता है. ट्यूमर या बीमारी के कारण दर्द, सांस लेने में दिक्कत, बार-बार पेशाब या पेट की समस्या, और खांसी या खुजली जैसी परेशानियां मरीज की नींद में रुकावट पैदा करती हैं. इसके अलावा, बुखार, थकान, और लगातार असहज महसूस करना नींद पूरी लेने में बड़ी बाधा बन जाते हैं.

नींद में बाधा डालती हैं ये चीजें- (These things interfere with sleep)

कैंसर का इलाज भी कई तरह से नींद पर असर डालता है. कीमोथेरेपी, रेडिएशन, हार्मोन थेरेपी और कुछ दवाएं जैसे स्टेरॉइड या दर्द निवारक दवाएं रात के समय मतली, पसीना या पेट की परेशानी पैदा कर सकती हैं. इन दुष्प्रभावों की वजह से मरीज चाहकर भी आराम से सो नहीं पाता. कई बार मरीज को बार-बार उठना पड़ता है या नींद बीच में टूट जाती है. यही चीजें लंबे समय तक गहरी नींद में रुकावट डालती हैं.

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मरीज की सोच भी नींद को प्रभावित करती है. कैंसर का नाम सुनते ही कई लोगों को डर, चिंता और भविष्य को लेकर असुरक्षा का एहसास होने लगता है. इलाज की प्रक्रिया, परिवार की चिंता और मौत का डर मरीज के दिमाग को लगातार व्यस्त रखते हैं. यही मानसिक तनाव अनिद्रा का सबसे बड़ा कारण बन जाता है. कई मरीज सोने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनका दिमाग लगातार विचारों से भरा रहता है, जिससे नींद नहीं आती.

नींद की कमी से होने वाले नुकसान- (Harmful effects of lack of sleep)

नींद की कमी के कई रूप कैंसर मरीजों में देखने को मिलते हैं. कुछ मरीज रात में बार-बार उठते हैं, कुछ दिन में बहुत ज्यादा नींद लेने लगते हैं. कुछ मरीजों में स्लीप एपनिया जैसी समस्या भी होती है, खासकर उन लोगों में जिनको सांस लेने में कठिनाई होती है. नींद की कमी सिर्फ थकान नहीं बढ़ाती, बल्कि याददाश्त, ध्यान, निर्णय लेने की क्षमता और इमोशनल बैलेंस पर भी असर डालती है. लंबे समय तक नींद न मिलने से मरीज का जीवन स्तर काफी प्रभावित हो सकता है. हालांकि, कैंसर मरीज अपनी नींद बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं.

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बेहतर नींद के लिए अपनाएं ये उपाय- (Follow these steps for better sleep)

सबसे पहले, रोज एक ही समय पर सोने और जागने की आदत बनाना जरूरी है सोने का कमरा शांत, अंधेरा और ठंडा होना चाहिए. सोने से पहले मोबाइल, टीवी या अन्य स्क्रीन से दूरी रखना मददगार होता है. इसके अलावा, कॉग्निटिव बिहेवरल थेरेपी (सीबीटी) जैसी थेरेपी बिना दवा के नींद सुधारने में कारगर साबित होती हैं. यह एक तरह की 'टॉकिंग थेरेपी' है जो आपको अपने नकारात्मक विचारों और व्यवहारों को पहचानने और उन्हें बदलकर अपनी भावनाओं को बेहतर बनाने में मदद करती है. यह मरीज को मानसिक रूप से आराम करना सिखाती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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