Oral Health: टीवी पर आने वाले एक एड में पूछा जाता है कि क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है? इसी तरह डेंटिस्ट आजकल लोगों को खुद से सवाल पूछने कहते हैं कि क्या आपके टूथपेस्ट में एसएलएस है? एसएलएस यानी सोडियम लॉरिल सल्फेट एक फोमिंग एजेंट होता है. शैंपू, साबुन, क्लींजर और डिटर्जेंट जैसी घरों में रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजों में यही केमिकल होते हैं जो उनमें झाग बनाते हैं. यही सोडियम लॉरिल सल्फेट या एसएलएस टूथपेस्ट में भी मौजूद होता है. हालांकि, यह हमेशा आपकी ओरल हेल्थ और हाइजीन के लिए बहुत फायदेमंद नहीं होता है.
दांतों के लिए नुकसानदायक है यह टूथपेस्ट
दरअसल, सोडियम लॉरिल सल्फेट या एसएलएस एक सर्फेक्टेंट है. इसका मतलब है कि इसके फोमिंग एजेंट के कारण सफाई के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है. हालांकि इसे कभी भी कार्सिनोजेन (कैंसर पैदा करने वाले तत्व) के रूप में क्लासिफाइड नहीं किया गया है, लेकिन एसएलएस लंबे समय तक संपर्क में रहने पर चमड़ी या श्लेष्म झिल्ली (म्यूकोसा मेंब्रेन) में जलन पैदा कर सकता है. इसलिए डेंटिस्ट टूथपेस्ट में एसएलएस को लेकर लोगों को सावधान करते हैं.
टूथपेस्ट में सल्फेट्स ओरल हेल्थ के लिए अच्छा है या बुरा?
आमतौर पर टूथपेस्ट में एसएलएस का इस्तेमाल 0.5-2 प्रतिशत की सांद्रता (कंसंट्रेशन) में किया जाता है. इसलिए दांतों की दो मिनट की ब्रशिंग के दौरान एसएलएस का बेहद कम असर होता है. हालांकि, एसएलएस में रोगाणुरोधी गुण भी होते हैं, जो बैक्टीरिया सेल्स की दीवारों में प्रवेश करके ओरल हेल्थ और हाइजीन को बनाए रखने में मदद करते हैं.
इन फायदों के बावजूद, एसएलएस ओरल कैविटी की लाइनिंग सेल्स को मामूली नुकसान भी पहुंचा सकता है. आमतौर पर स्लाइवा इसके नुकसान को रोकता है.
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टूथपेस्ट बदल सकता है मुंह का स्वाद भी
एसएलएस वाले टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने वाला हर शख्स ब्रशिंग के दौरान कुछ समय के लिए बदले हुए स्वाद का एहसास करता है. हालांकि, यह ब्रश करने के बाद 10 से 20 मिनट से ज्यादा नहीं रहता. लेकिन ज्यादातर लोग इस छोटी सी असुविधा के बावजूद एसएलएस टूथपेस्ट के इस्तेमाल से मिलने वाली ताजगी के एहसास को पसंद करते हैं. बाजार में गैर-एसएलएस टूथपेस्ट भी उपलब्ध हैं, लेकिन वे आम तौर पर अधिक महंगे होते हैं.
अपने लिए बेस्ट थपेस्ट कैसे चुनें?
अध्ययनों से पता चला है कि गैर-एसएलएस टूथपेस्ट भी ओरल हेल्थ और हाइजीन बनाए रखने में एसएलएस वाले टूथपेस्ट की तरह ही असरदार होते हैं. हालांकि, कई लोगों को लगता है कि गैर-एसएलएस टूथपेस्ट में एसएलएस से जुड़ी ताजगी के एहसास की कमी है.
हालांकि यह सुझाव देने के लिए कोई मजबूत सबूत नहीं है कि एसएलएस युक्त टूथपेस्ट से बचना चाहिए, लेकिन जो लोग स्वाद में बदलाव के बारे में चिंतित हैं या बार-बार मुंह के अल्सर से ग्रस्त हैं, उनके लिए गैर-एसएलएस टूथपेस्ट एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
गलत टूथपेस्ट से जीभ पर भी पड़ता है असर
कुछ रिसर्चर्स का मानना है कि सोडियम लॉरिल सल्फेट जीभ पर टेस्ट रिसेप्टर्स को दबा देता है. यह मुख्य रूप से नमकीन और मीठे टेस्ट बड्स पर असर करता है. यही कारण है कि ब्रश करने के बाद मीठा भोजन थोड़ा कम मीठा लगता है और नमक का स्वाद भी कम नमकीन होता है.
एक्सपर्ट का मानना है कि इसके उलट सोडियम लॉरिल सल्फेट जीभ पर दूसरे टेस्ट बड्स को भी बढ़ाता है जो कड़वे स्वाद की पहचान करता है. इसके चलते ही ब्रश करने के तुरंत बाद कॉफी या संतरे का जूस पीने से मुंह का स्वाद बदल सकता है.
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क्यों सुबह उठते ही सबसे पहले ब्रश करना चाहिए?
डेंटिस्ट लोगों को ब्रश करने से 30 मिनट पहले चाय, कॉफी या कोई अम्लीय पेय पीने का सुझाव देते हैं, क्योंकि ये पेय आपकी इनेमल परत को नरम कर सकते हैं. कुछ लोग ब्रश करने से पहले कॉफी पीना पसंद करते हैं. जबकि कोई चाय या कॉफी पीने के तुरंत बाद ब्रश करना शुरू कर देता है, तो इससे उसके इनेमल परत को नुकसान हो सकता है.
इसलिए, डेंटिस्ट बैक्टीरिया और प्लाक को हटाने के लिए सुबह नींद से जगने के तुरंत बाद ब्रश करने की सलाह देते हैं. इससे सेहत को और भी कई जरूरी फायदे मिलते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)