Scleroderma Disease Symptoms: स्क्लेरोडर्मा एक बहुत ही अजीबोगरीब बीमारी है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा धीरे धीरे पत्थर की तरह सख्त होने लगती है. इस बीमारी से जुड़ी सबसे गंभीर बात ये है कि लोगों को इस तरह की बीमारी की जानकारी बहुत ही कम है. जिस वजह से वो समय पर इसे समझ नहीं पाते. नतीजा ये होता है कि जो भी संभावित इलाज होता है उसे लेने में बहुत देर हो चुकी होती है. स्क्लेरोडर्मा गठिया का एक प्रकार है. जो पुरुषों से ज्यादा महिलाओं पर जल्दी शिकंजा कसती है. वैसे तो बीमारी गंभीर है ही लेकिन ये तब जानलेवा हो जाती है जब शरीर के अंदरूनी अंगों में फैलने लगती है. वैसे तो इसका निश्चित इलाज नहीं खोजा जा सका है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि बीमारी के प्रति जागरूक रह कर इससे बचा जा सकता है.
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क्या है स्क्लेरोडर्मा? | What Is Scleroderma Disease
इस बीमारी का नाम दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है. स्क्लेरो और डर्मा का मतलब होता है कठोर स्किन. ये बीमारी जिसे जकड़ती है उसकी त्वचा पहले चमकदार दिखाई देने लगती है. फिर धीरे धीरे सख्त होने लग जाती है. शरीर के टिश्यू सख्त होना शुरू होते हैं. धीरे धीरे सख्त टिश्यू की संख्या बढ़ती जाती है. शुरूआती शोधों से ये पता चला है कि बीमारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होती है.
स्क्लेरोडर्मा के कारण? (Causes Of Scleroderma)
इस बीमारी के सही कारण पता करने पर रिसर्च जारी है. फिलहाल वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ये कोई ऐसी तकलीफ है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के खिलाफ काम करने लग जाए. ये सीमित भी हो सकती है और फैली हुई भी हो सकती है. इसका असर हार्ट और लंग्स तक हो सकता है.
बीमारी की शुरुआत आमतौर पर उंगलियों से होती है. जो धीरे धीरे नीली पड़ने लगती है.
स्क्लेरोडर्मा से बचाव कैसे करें? (How To Prevent Scleroderma?)
इस बीमारी के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसके होने और बचने का कोई सटीक तरीका अब तक नहीं मिला है. इसलिए बचाव का भी कोई खास तरीका नहीं है. विशेषज्ञों की यही सलाह है कि लोग खुद को गठिया से बचाए रखने की कोशिश करें. ये बीमारी भी गठिया के ही एक प्रकार की तरह है.
क्या है इलाज? (Treatment Of Scleroderma)
बीमारी लाइलाज है. ये हम पहले भी बता चुके हैं. फिर भी डॉक्टर्स की सलाह है कि जैसे ही त्वचा में सख्त बदलाव दिखें उन्हें नजरअंदाज करने की जगह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन शुरुआती दौर में ही इसे रोकने की कोशिश की जा सकती है. इलाज का तरीका लोगों की तासीर के हिसाब से तय होता है. खासतौर से जिनके फेफड़ों में ये रोग हो उनका इलाज एकदम अलग होगा और जिन्हें सीमित स्क्लेरोडर्मा हो उनका इलाज अलग तरह से होगा.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.