उन्होंने शरीर पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को समझने के लिए 20 वयस्कों के एक समूह का अध्ययन किया, जो रात के समय मध्यम प्रकाश के संपर्क में थे. एक अध्ययन में कहा गया है कि रात में सोने से पहले लाइट को बंद न कर पाने से शरीर "अलर्ट स्टेज" में आ सकता है, जिससे हृदय गति दिन के लेवल के करीब हो सकती है. अध्ययन में कहा गया है कि यह डायबिटीज और दिल के दौरे जैसी कार्डियोमेटाबोलिक बीमारी सहित प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों के लिए एक जोखिम कारक है. पीएनएएस में प्रकाशित शोध इलिनोइस में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है.
उन्होंने शरीर पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को समझने के लिए 20 वयस्कों के एक समूह का अध्ययन किया, जो रात के समय मध्यम प्रकाश के संपर्क में थे. आधे प्रतिभागियों को एक रात मंद रोशनी वाले कमरे में सुलाया गया, उसके बाद एक और रात को मध्यम रोशनी में सुलाया गया. अन्य 10 वयस्क लगातार दो रातों तक कम रोशनी में सोए.
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शोधकर्ताओं ने कहा, "इंसुलिन रेजिस्टेंट के उपाय कमरे की रोशनी बनाम मंद प्रकाश की स्थिति में अधिक थे." इंसुलिन रेजिस्टेंट तब होता है जब शरीर की कोशिकाएं शुगर-रेगुलेशन हार्मोन का जवाब नहीं देती हैं और शरीर पर ग्लूकोज का उपयोग नहीं कर पाती हैं.
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जो ग्रुप मध्यम प्रकाश की स्थिति में सोते हैं, उनकी हृदय गति डिम लाइट ग्रुप की तुलना में अधिक होती है. शोधकर्ताओं ने कहा कि नॉर्मल हार्ट पैटर्न में व्यवधान हृदय स्वास्थ्य के लिए बुरी खबर हो सकती है क्योंकि इसे रात के दौरान जरूरी आराम नहीं मिलता है. अध्ययन के प्रतिभागियों के लिए मीडियम लाइट कंडिशन को 100 लक्स, रोशनी की एक इंटरनेशनल यूनिट के रूप में परिभाषित किया गया था.
एक लक्स एक मीटर दूर से मापी गई एक मोमबत्ती द्वारा उत्पन्न प्रकाश का आयतन है. ज्यादातर घरों और ऑफिश में प्रकाश की मात्रा आमतौर पर 50-500 लक्स के बीच होती है. अध्ययन में भाग लेने वाले वयस्कों की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच थी, उनकी हेबिचुअल स्लिप ड्यूरेशन 6.5 से 8.5 घंटे और आदतन नींद रात 9:00 बजे से 1:00 बजे तक थी.
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