Kacha Doodh Peene Ke Nuksan: कच्चा दूध बिना पाश्चुरीकरण वाला होता है जिसे उबाला नहीं जाता है. कुछ लोग कच्चा दूध पीने के फायदे गिनाते हैं और पोषण और प्राकृतिक गुणों से भरपूर मानते हैं, लेकिन इसके सेवन से जुड़े कई स्वास्थ्य जोखिम भी होते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अगर आप कच्चा दूध पीते हैं तो कई नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं. यहां हम कच्चे दूध के कुछ प्रमुख नुकसानों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए.
कच्चा दूध पीने के नुकसान | Disadvantages of Drinking Raw Milk
1. बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा
कच्चे दूध में हानिकारक बैक्टीरिया और रोगाणु हो सकते हैं. ये बैक्टीरिया गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जैसे कि फूड प्वाइजनिंग, पेट दर्द, दस्त, उल्टी और यहां तक कि किडनी फेल्योर भी.
2. पोषणीय गुणों की हानि
पाश्चुरीकरण प्रक्रिया के दौरान दूध में मौजूद कुछ विटामिन और एंजाइम नष्ट हो सकते हैं, लेकिन इससे दूध की संपूर्ण पोषण गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. कच्चे दूध का सेवन करते समय यह मानना कि यह ज्यादा पोषणीय है, गलतफहमी हो सकती है. सुरक्षित और संतुलित आहार के लिए पाश्चुरीकृत दूध एक बेहतर विकल्प है.
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3. इम्यून सिस्टम पर प्रभाव
कच्चे दूध में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं. इनके सेवन से इन ग्रुप्स में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
4. एलर्जी और इनटोलरेंस
कच्चे दूध में कुछ ऐसे प्रोटीन और एंजाइम होते हैं जो एलर्जी और इनटोलरेंस का कारण बन सकते हैं. पाश्चुरीकरण प्रक्रिया इन प्रोटीन को तोड़ती है और इस प्रकार एलर्जी प्रतिक्रियाओं की संभावना को कम करती है.
5. लिस्टेरियोसिस का खतरा
लिस्टेरिया बैक्टीरिया का संक्रमण लिस्टेरियोसिस नामक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. यह विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है क्योंकि इससे गर्भपात, समय से पहले जन्म या नवजात मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है.
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6. खराब होने का खतरा
कच्चा दूध जल्दी खराब हो सकता है और इसके सेवन से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ सकते हैं. इसे लंबे समय तक संग्रहीत नहीं किया जा सकता है और इसके परिवहन और भंडारण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है.
कच्चे दूध का सेवन करने के बजाय, पाश्चुरीकृत दूध का उपयोग करना ज्यादा सुरक्षित और स्वास्थ्यकर होता है। पाश्चुरीकरण प्रक्रिया दूध को सुरक्षित बनाने के साथ-साथ इसके पोषणीय गुणों को भी बचाकर रखती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)