हर सांस में 25 सिगरेट का जहर, हवा में फैला मौत का धुआं, रोज तिल-तिल मर रहे फेफड़े, 30 गुना ज्यादा जहरीली हो चुकी है हवा

दिल्ली की हवा एक बार फिर जहर बन चुकी है. डॉ. अंशुमान कौशल का कहना है कि अगर अब कदम नहीं उठाए गए तो सांस लेना भी जानलेवा हो जाएगा.

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Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा में सांस लेना जोखिम भरा.

दिल्ली की हवा एक बार फिर जहर बन चुकी है. राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक सीमी के पार पहुंच चुका है. टॉप सर्जन डॉ. अंशुमान कौशल ने हाल ही में एक इंस्टाग्राम वीडियो शेयर किया है जिसमें वह बताते हैं कि दिल्ली के एयर पॉल्यूशन की वजह से सांस लेना अब रोमांच नहीं, जोखिम है. जहां बाकी शहरों में लोग तापमान देखते हैं, दिल्ली वाले अब “पार्टिकुलेट काउंट पर ब्रीथ” चेक करते हैं. WHO के मुताबिक PM2.5 की सुरक्षित सीमा 15 (µg/m³) होनी चाहिए, लेकिन दिल्ली पिछले हफ्ते 450 माइक्रोग्राम तक पहुंच गई यानी 30 गुना ज्यादा.

फेफड़ों पर सीधा वार, बच्चों की सांसों में जहर

PM2.5 जैसे बेहद सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफड़ों की गहराई तक पहुंचकर वहां जमा हो जाते हैं. एम्स की एक स्टडी के मुताबिक, दिल्ली के बच्चों की फेफड़ों की क्षमता छोटे शहरों के बच्चों की तुलना में 20 से 30% कम है. यानी, हर सांस में हम हवा नहीं, बल्कि कार्बन, लेड, अमोनिया और सल्फेट जैसे जहरीले पदार्थ ले रहे हैं.

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25 सिगरेट रोज के बराबर है दिल्ली की हवा

लैंसेट की रिपोर्ट बताती है कि हर 10 (µg/m³) PM2.5 बढ़ने पर फेफड़ों के कैंसर का खतरा 8% बढ़ जाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की स्टडी के अनुसार, दिल्ली में रहना रोजाना 25 सिगरेट पीने के बराबर है.
 

स्मॉग नहीं, यह है पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी

यह सिर्फ स्मॉग नहीं, बल्कि पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है. हवा में घुला ज़हर खून को गाढ़ा करता है, ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, डायबिटीज और दिल की बीमारियों को और खतरनाक बना देता है. यहां तक कि गर्भ में पल रहे बच्चे भी इस प्रदूषित हवा का असर झेल रहे हैं.

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डॉ. अंशुमान कौशल की अपील, 'अब गुस्सा जरूरी है'

अब वक्त है कि हम स्मॉग को “विंटर वेदर” कहकर हंसी में उड़ाना बंद करें. पेड़ लगाना, कारपूल करना, पटाखों पर रोक लगाना और हेल्दी एनर्जी को अपनाना ही असली समाधान हैं. क्योंकि सच यह है कि कोई भी मास्क दिल्ली की हवा को पूरी तरह साफ नहीं कर सकता.

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डॉ. अंशुमान कौशल ने कहा, “अब वक्त है गुस्सा दिखाने का क्योंकि अगर हमारे फेफड़े नहीं जागे, तो हम हमेशा के लिए खामोश हो जाएंगे.”

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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