वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई किताब आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में कुछ सरल आदतों पर ध्यान देने को कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है. उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, कैपेसिटी, दीर्घायु, एनर्जी एफिशिएंसी या सेल्फ ट्रीटमेंट क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती. वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 साल है. जबकि एक हेल्दी मानव शरीर के अंदर एक हेल्दी ब्रेन-मन 100 साल या उससे ज्यादा समय तक जीवित रह सकता है.
यह भी पढ़ें: पतला शरीर और कमजोरी को ठीक करना है, तो चावल बनाते समय उसमें मिलाएं ये चीज, रोज खाने से दिखने लगेगा असर
स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह ह्यूमन ब्रेन की स्टोरेज कैपेसिटी या सेल्फ ट्रीटमेंट पावर की नकल कभी नहीं कर सकते. इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है. उन्होंने ब्रेन की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि अगर हेल्दी ब्रेन का पोषण किया जाए तो वह 100 सालों से ज्यादा समय तक चल सकता है.
डेली ब्रेन एक्सरसाइज जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब का सेवन कंट्रोल करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे डेली एक्सरसाइज ब्रेन हेल्थ को बढ़ाने में मदद करते हैं.
Monsoon में बीमारियों के संक्रमण से कैसे रहें सुरक्षित, बता रहे हैं हेल्थ एक्सपर्ट्स
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)