Diabetes Screening: कई बार डायबिटीज का शिकार होने के बावजूद भी लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनियाभर में 44 प्रतिशत लोगों में डायबिटीज डायग्नोसिस नहीं हो पाता है. कई मरीजों में किसी भी तरह का लक्षण नहीं दिखाई देने के चलते लंबे समय तक बीमारी का पता नहीं चल पाता है. ऐसे में बीमारी का पता लगाने के लिए समय रहते स्क्रीनिंग कराना बेहद जरूरी है. एनडीटीवी ने इस बारे में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संदीप खरब से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने डायबिटीज के लक्षण नहीं दिखाई देने के पीछे के कारणों को समझाया. उन्होंने यह भी बताया कि किन लोगों को अपनी डायबिटीज की स्क्रीनिंग करानी चाहिए.
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डायबिटीज का पता क्यों नहीं चलता है? (Why is diabetes not detected?)
डॉ. संदीप खरब ने बताया कि 180 या 200 ब्लड शुगर लेवल वाले मरीजों में ज्यादातर लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. इसके अलावा अगर किसी मरीज का ग्लूकोज लेवल धीरे-धीरे बढ़ता है तो ब्लड शुगर लेवल 300 या 400 पहुंचने पर भी कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है. अगर आपका ब्लड शुगर लेवल फिलहाल 150 है और धीमे गति से सालों बाद 300 या 400 तक पहुंचता है तो आप में डायबिटीज के आम लक्षण नजर नहीं आएंगे.
कब दिखाई देना शुरू होते हैं लक्षण?
डॉक्टर बताते हैं कि 150 या 200 तक ब्लड ग्लूकोज लेवल जाने के बाद भी डायबिटीज के लक्षण आमतौर पर दिखाई नहीं देते हैं. शुगर लेवल 180 रहने तक वह शरीर और किडनी में ही घूमता रहता है. लेकिन जब खून में ग्लूकोज का स्तर 200 के पार होता है तो किडनी का थ्रेशोल्ड पार हो जाता है और यूरीन के जरिए ग्लूकोज बाहर निकलने लगता है. इस वजह से मरीज को बार-बार यूरीन आता है जो डायबिटीज का सबसे कॉमन लक्षण है. हालांकि, जब शुगर लेवल बहुत धीमी गति से शरीर में बढ़ता है तो 300 के पार जाने के बाद भी कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है.
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किन्हें करानी चाहिए डायबिटीज की स्क्रीनिंग?
समय रहते डायबिटीज का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग बेहद जरूरी है. खासतौर पर अगर किसी का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 23 से ज्यादा हो तो उसे डायबिटीज की स्क्रीनिंग करानी चाहिए. इसके अलावा महिलाओं में वेस्ट साइज 80 सेंटीमीटर से ज्यादा और पुरुषों में 90 सेंटीमीटर से ज्यादा होने पर ब्लड शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए. पीसीओडी, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और इनफर्टिलिटी से जूझ रहे लोगों को स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए. इसके अलावा 35 साल की उम्र पार करने पर रेगुलर ब्लड शुगर जांचने की सलाह दी जाती है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)