AIIMS के डॉक्टर ने बताया थोड़ा सा खाने पर भी पेट भरने के कारण और इलाज का तरीका

Eat Little But Stomach Remains Full: अगर आपको लगता है कि आप थोड़ा खाते हैं लेकिन पेट फिर भी भारी रहता है, गैस, दर्द या ब्लोटिंग बनी रहती है, तो हो सकता है ये आईबीएस हो.

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थोड़ा खाने पर ही भर जाता है पेट? जानिए इसका कारण

Eat Little But Stomach Remains Full: आजकल बहुत से लोग शिकायत करते हैं कि थोड़ा सा ही खाने के बाद भी पेट भारी लगता है. कुछ तो कहते हैं कि भूख ही नहीं लगती और जब खाते हैं तो गैस, ब्लोटिंग, दर्द या फिर कभी दस्त और कभी कब्ज जैसी दिक्कत हो जाती है. ऐसा क्यों होता है? क्या ये कोई बड़ी बीमारी है या फिर कुछ और? घबराने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन ध्यान देने की ज़रूरत जरूर है. सही जानकारी, संतुलित दिनचर्या और डॉक्टर की सलाह से इस परेशानी को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. चलिए जानते हैं क्या कहना है फरीदाबाद,  AIMS में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर और HOD डॉ. अमित मिगलानी (Dr. Amit Miglani) का.

कम खाने पर पेट में भारीपन (Eat Little But Stomach Remains Full)

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क्यों होता है ये सब?

आईबीएस का कोई एक पक्का कारण नहीं है. ये कई वजहों से हो सकता है. सबसे आम कारणों में पेट की ट्यूब्स की हलचल का गड़बड़ होना है. जब हम कुछ खाते हैं, तो हमारे पाचन तंत्र में हलचल होती है जिससे खाना हज़म होता है. लेकिन आईबीएस में ये हलचल या तो बहुत तेज हो जाती है या बहुत धीमी, जिससे पेट में दर्द, ब्लोटिंग या कभी दस्त और कभी कब्ज जैसी परेशानी होती है. इसके अलावा, कुछ लोगों की आंतें बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो जाती हैं. मतलब, जहां बाकी लोगों को 500 ml पानी पीने के बाद थोड़ा भारीपन महसूस होता है, वही आईबीएस वाले लोगों को 200 ml पीने के बाद भी पेट भरा-भरा लगने लगता है.

किस तरह के लक्षण दिखते हैं?

आईबीएस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं. किसी को बार-बार लूज़ मोशन होते हैं, किसी को पेट दर्द के साथ कब्ज रहता है, तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें दोनों चीज़ें बदल-बदल कर आती हैं.

-आईबीएस-डी (डायरिया टाइप): बार-बार पतले दस्त होना.
-आईबीएस-सी (कब्ज वाला टाइप): बार-बार कब्ज रहना.  
-आईबीएस-एम (मिक्स्ड टाइप): कभी दस्त, कभी कब्ज और दोनों के साथ पेट में दर्द भी.

क्या है इसका इलाज?

इसका इलाज पूरी तरह मुमकिन नहीं है, लेकिन लाइफ स्टाइल और खानपान में बदलाव से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. जैसे-

-ऑयली, स्पाइसी और बहुत ठंडा खाना कम करें.  
-ज्यादा देर भूखे न रहें, थोड़ा-थोड़ा खाएं.  
-स्ट्रेस कम करें, क्योंकि मेंटल स्ट्रेस भी इसकी एक बड़ी वजह है.  
-भरपूर पानी पिएं.  
-हल्की एक्सरसाइज और वॉक को डेली रुटीन में शामिल करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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