कान्स में तरबूज जैसा पर्स लेकर क्यों पहुंची कानी कुश्रुति, कैसे तरबूज बना विरोध का प्रतीक, फिलिस्तीन में क्या है इसका मतलब, पूरी कहानी एक मिनट में

Watermelon Palestine: फिलिस्तीनी सदियों से अपना विरोध तरबूज के जरिये जताते आए हैं. हांलाकि  फिलिस्तीन में भारी मात्रा में तरबूज की खेती की जाती है. इतना ही नहीं यहां के लोग तरबूज को अपने खान-पान में भी प्रमुखता से शामिल करते हैं.

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फिलिस्तीन में विरोध का अनोखा प्रतीक, तरबूज क्यों होता है इस्तेमाल. Photo Credit: Insta@kantari_kanmani

Actor Kani Kusruti's watermelon bag at Cannes: एक्ट्रेस कानी कुश्रुति खबरों में हैं. हाल ही में 77वें कान फिल्म महोत्सव में भारतीय फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' की धूम देखने को मिली. पायल कपाड़िया की फीचर फिल्म ने फेस्टिवल में ग्रांड प्रिक्स जीता है. इस मौके पर उनके साथ कानी कुश्रुति भी दिखीं. और उनके हाथ में दिखा एक पर्स. यह कोई नई बात नहीं. लेकिन जो बात गौर करने की है वह यह कि कानी कुश्रति के हाथ में जो पर्स था वह वॉटरमेलन यानी की तरबूज के आकार का था. और यहां तरबूज के आकार का पर्स लेने का मतलब सतही नहीं, बेहद गहरा है. चलिए जानते हैं इस बारे में. 

Watermelon Palestine: देश-विदेश जहां भी जनता अपना विरोध दर्ज कराती है तो उसके तरीके अलग-अलग होते हैं. कई जगहों पर शांति से विरोध जताया जाता है, तो कहीं पर आक्रोशित होकर विरोध प्रदर्शन किया जाता है. लेकिन फिलिस्तीन का विरोध करने का तरीका सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह छाया कि वह लगभग हर देश के लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया. जी हां, फिलिस्तीन में वाटरमेलन यानी तरबूज के जरिए विरोध दर्ज कराया. वहीं सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के सपोर्ट में जो पोस्ट लिखे गए उनमें प्रतीक के रूप में कटे हुए तरबूज नजर आ रहे हैं. हालांकि ये तो हम सबको आसानी से पता चल जाता है कि आखिर तरबूज को फिलिस्तीनी संघर्ष का प्रतीक क्यों माना जाता है. लेकिन इसकी शुरुआत कैसे और कब हुई इसे जानते हैं. 

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फिलिस्तीन के आंदोलन से तरबूज का कनेक्शन (Watermelon is the Symbol of Protest in Palestine)

इसलिए वजह से है तरबूज का इस्तेमाल

दरअसल, तरबूज को काटने पर वह फ़िलिस्तीनी झंडे के रंग को प्रदर्शित करता है. क्योंकि तरबूज के अंदर रंग लाल होता है और इसके बीज काले रंग के होते हैं. वहीं इसका छिलका सफेद रंग का होता है और बाहरी छिलके का रंग हरा है. जो कि फिलिस्तीनी झंडे के रंग का प्रतीक है. 

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कई साल पहले भी हो चुका विरोध में तरबूज का इस्तेमाल

नवंबर 2023 में बड़ी संख्या में फिसिस्तीनियों ने आंदोलन किया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब फिलिस्तीन में विरोध के लिए तरबूज का इस्तेमाल किया गया है. इससे पहले भी सन 1967 में जब इजराइल में वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी येरुशलम के कई क्षेत्रों पर कब्जा किया था. इसके बाद इजरायल सरकार ने फिलिस्तीनी झंडे के सार्वजनिक प्रदर्शन को अपराध घोषित करने के लिए एक सैन्य आदेश का इस्तेमाल किया, इस आदेश के विरोध में फिलिस्तीनियों ने तब भी तरबूज का इस्तेमाल किया था.

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जनवरी में हुई घटना के बाद हुआ झंडे का विरोध

साल 2023 में फिलिस्तीन में कुछ न कुछ होता ही रहा है. लेकिन साल के शुरुआत में हुई एक घटना के चलते यहां का प्रारूप पूरी तरह से बदल गया. द टाइम्स ऑफ इजरायल में छपी खबर के मुताबिक, इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन ग्विर ने जनवरी 2023 में पुलिस को सार्वजनिक रूप से फहराए गए किसी भी फिलिस्तीनी झंडे को फाड़ने का निर्देश दिया था. कथित तौर पर मंत्री ने ये फैसला इसलिए लिया था क्योंकि एक आतंकवादी ने जेल से रिहा होने के बाद फिलिस्तीन का झंडा लहराया था. हालांकि इसके बाद जून में ज़ाज़िम नामक एक संगठन ने तेल अवीव में चलने वाली टैक्सियों पर कटे हुए तरबूज़ों की तस्वीरें लगाना शुरू कर दिया, इन तस्वीरों के साथ लिखा हुआ था कि 'ये फिलिस्तीनी झंडा नहीं है.'

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चर्चा में आया कलाकार का नाम

फिलिस्तीनी आर्टिस्ट खालिद हुरानी ने 2007 में फिलिस्तीन प्रोजेक्ट के सब्जेक्टिव एटलस के लिए तरबूज के एक टुकड़े को चित्रित किया था. जिसकी रचना, "द स्टोरी ऑफ द वॉटरमेलन" में फिलिस्तीन की एक सब्जेक्टिव एटलस में सामने आई थी और किताब से हटकर 2013 में उनकी कलाकृति, "द कलर्स ऑफ द फिलिस्तीनी फ्लैग" को वैश्विक चर्चा मिली. जिसके बाद उन्होंने तरबूज को फिलिस्तीनी मुद्दे के साथ मजबूती से जोड़ना शुरू किया.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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