Health guide : हम सब चाहते हैं कि एकदम फिट और तंदुरुस्त रहें, लेकिन अक्सर छोटी-मोटी बीमारियों या थकान से परेशान रहते हैं. कभी सर्दी-खांसी, कभी बेवजह का आलस. दिमाग में एक ही सवाल आता है, 'यार, आखिर गलती कहां हो रही है?' अच्छी सेहत की तलाश में हम डॉक्टर के पास भागते हैं, पर कई बार जवाब हमारे अंदर ही छिपा होता है. अगर आप भी बीमार होकर थक गए हैं, तो आज खुद से ये 8 हम सवाल पूछिए. यकीन मानिए, इनके जवाब मिलते ही आपकी आधी से ज्यादा परेशानियां दूर हो जाएंगी.
क्यों होते हैं हम बीमार? Why do we fall ill?
बीमार होने का मतलब है कि आपके शरीर का कोई अंग या सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है. इसकी दो मुख्य वजहें हो सकती हैं. पहली वजह अंदरूनी होती है, जैसे- कुछ बीमारियां हमें माता-पिता से जीन्स में मिलती हैं. जैसे कई क्रोनिक डिजीज, डायबिटीज आदि.
इसके अलावा कई बीमारियों की वजह बाहरी होती हैं जैसे-
- वातावरण में फैले वायरस या प्रदूषण से.
- जरूरी न्यूट्रिएंट्स (पोषक तत्व) न मिल पाने से
- सबसे आम है जर्म्स (कीटाणु) यानी बैक्टीरिया और वायरस जैसे छोटे माइक्रोस्कोपिक ऑर्गनिज्म (सूक्ष्म जीव). ये हवा, पानी, मिट्टी, हमारे आस-पास की चीजों और यहां तक कि खाने में भी होते हैं.
शरीर कैसे लड़ता है बीमारी से? How does the body fight disease?
हमारा शरीर एक कमाल के प्रोटेक्टिव बैरियर यानी स्किन से ढका है, जो कई जर्म्स को अंदर जाने से रोकता है. ज्यादातर जर्म्स हमारे मुंह और नाक से अंदर जाते हैं. एक बार जर्म्स अंदर चले जाएं, तो हमारा इम्यून सिस्टम (रोग-प्रतिरोधक तंत्र) तुरंत एक्टिव हो जाता है. इम्यून सिस्टम में मुख्य रूप से व्हाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाएं) होती हैं, जिनमें फैगोसाइट्स और लिम्फोसाइट्स शामिल हैं. फैगोसाइट्स हमलावर जर्म्स को ढूंढकर खत्म कर देते हैं. लिम्फोसाइट्स हमलावरों को याद रखते हैं और एंटीबॉडीज नाम के केमिकल रिलीज करते हैं, जो हमें जर्म्स से लड़ने के लिए इम्यून (प्रतिरक्षा) बनाते हैं.
लिम्फ सिस्टम पूरे शरीर में फैला एक नेटवर्क है. इसमें लिम्फ नाम का एक साफ लिक्विड बहता है, जो जर्म्स की पहचान करता है और उन्हें बाहर निकालता है.
बैक्टीरिया और वायरस में क्या फर्क है? What is the difference between bacteria and viruses?
बैक्टीरियाये एक-कोशिका वाले जीव हैं, जो खद अपना भोजन कर सकते हैं और बहुत तेजी से रिप्रोड्यूस (प्रजनन) करते हैं. कुछ ही घंटों में एक सेल (कोशिका) से लाखों बन सकते हैं.
वायरसये बैक्टीरिया से छोटे होते हैं और बिना किसी लिविंग सेल (जीवित कोशिका) की मदद के न बढ़ सकते हैं न रिप्रोड्यूस हो सकते हैं. ये शरीर के अंदर जाकर एक हेल्दी सेल से चिपक जाते हैं और उसके न्यूक्लियस (केंद्रक) का इस्तेमाल कर खुद को बढ़ाते हैं.
क्या हमारे शरीर में अच्छे जर्म्स भी होते हैं? Are there good germs in our body too?
हां. हमारे शरीर में, खासकर आंतों (इंटेस्टाइन) में जर्म्स होते हैं और ये सभी खराब नहीं होते. उदाहरण के लिए, ई कोलाई (E. coli) नाम का आम बैक्टीरिया हरी सब्जियां और बीन्स (फलियां) पचाने में मदद करता है. यही बैक्टीरिया विटामिन K भी बनाता है, जो खून का थक्का जमाने के लिए जरूरी है.
जर्म्स कहां-कहां छिपे होते हैं? Where do germs hide?
जर्म्स हर जगह हैं. ये हवा से फैलते हैं. आपके घर, पालतू जानवरों और परिवार में भी हो सकते हैं. बाथरूम और किचन सिंक के अलावा, शॉपिंग कार्ट, रेस्तरां मेन्यू, मोबाइल फोन और शावर कर्टन जैसी रोजमर्रा की चीजों पर भी बैक्टीरिया, मोल्ड (फफूंदी) और राइनोवायरस (ज़ुकाम के जर्म्स) होते हैं. ठंड और फ्लू के वायरस तो हार्ड सरफेस पर 18 घंटे तक जिंदा रह सकते हैं. जर्म्स से बचने के लिए इन चीजों को डिसइंफेक्टेंट वाइप से साफ करना, साबुन और पानी से हाथ धोना और हाथ सैनिटाइज करना सबसे अच्छा तरीका है.
एलर्जी क्या होती है? What is allergy?
एलर्जी किसी ऐसे पदार्थ के प्रति इम्यून सिस्टम का ओवररिएक्शन (अति-प्रतिक्रिया) है, जो ज्यादातर लोगों के लिए तो नुकसानदेह नहीं होता. जब कोई व्यक्ति किसी पदार्थ को सांस से अंदर लेता है, छूता है या खाता है, तो इस तरह की ओवररिएक्शन होती है. इसे ही एलर्जी कहा जाता है. एलर्जन (वह पदार्थ जिससे एलर्जी होती है) खाने की चीजें, दवाइयां, पौधे, जानवर, केमिकल या धूल कुछ भी हो सकता है.
डस्ट माइट्स (धूल के कण) एलर्जी का एक बड़ा कारण हैं. सांस के जरिए अंदर जाने पर ये अस्थमा (सांस लेने में दिक्कत) को ट्रिगर कर सकते हैं. इसके अलावा कई बार डेरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, अंडे या फिर मूंगफली, गेहूं, सोया, मछली और ट्री नट्स में मौजूद प्रोटीन खाने से भी किसी को एलर्जी हो सकती है.
एंटीबायोटिक्स क्या हैं और ये कैसे बने? What are antibiotics and how are they made?
एंटीबायोटिक्स वो दवाइयां हैं जो बैक्टीरिया से लड़ने में शरीर की मदद करती हैं. ये या तो जर्म्स को सीधे मार देती हैं या उन्हें कमजोर कर देती हैं, ताकि इम्यून सिस्टम आसानी से उन्हें खत्म कर सके. सबसे मशहूर एंटीबायोटिक पेनिसिलिन है, जो मोल्ड (फफूंदी) से बनती है.
इसकी खोज 1928 में स्कॉटिश साइंटिस्ट अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने की थी. उन्होंने पाया कि मोल्ड ने बैक्टीरिया के आस-पास एक बैक्टीरिया-फ्री सर्कल बना दिया था. पेनिसिलिन बैक्टीरिया की सेल वॉल या सेल कंटेंट बनने में रुकावट डालकर उन्हें मारती है.
वैक्सीन का आविष्कार कैसे हुआ? How was the vaccine invented?
वैक्सीन का कॉन्सेप्ट 1796 में इंग्लैंड के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने दिया था. उन्होंने देखा कि जिन डेयरी मेड (दूध दुहने वाली) को काउपॉक्स वायरस (गाय से होने वाला एक हल्का वायरस) हुआ था, वे स्मॉलपॉक्स (चेचक, एक घातक बीमारी) से इम्यून थीं.
जेनर ने एक डेयरीमेड के घाव से सामग्री लेकर एक 8 साल के लड़के जेम्स फिप्स को इंजेक्ट की. फिर उसे स्मॉल पॉक्स से एक्सपोज किया, लेकिन उसे बीमारी नहीं हुई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि काउपॉक्स और स्मॉलपॉक्स में कुछ एंटीजेन्स (प्रोटीन) कॉमन थे, जिन्होंने लड़के के इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया था.
उन्होंने इसे वैक्सीनेशन नाम दिया, जो लैटिन शब्द ''vacca'' यानी 'गाय' से आया है. आज वैक्सीन दुनिया भर में बीमारियों से इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा) बनाने के लिए इस्तेमाल होती है.
क्या चिकन सूप सर्दी-ज़ुकाम ठीक कर सकता है? Can chicken soup cure a cold?
चिकन सूप ज़ुकाम को पूरी तरह ठीक तो नहीं करता, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि चिकन सूप में मौजूद चिकन फैट (चर्बी) दो तरह से काम करता है. पहला, यह एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) के तौर पर काम करता है. यह न्यूट्रोफिल्स (सूजन में शामिल इम्यून सिस्टम की सेल्स) की मूवमेंट को धीमा कर देता है.
यह नाक के जरिए म्यूकस (बलगम) की मूवमेंट को अस्थायी रूप से तेज करता है. इससे कंजेस्शन (जमाव) में आराम मिलता है और वायरस का नाक की लाइनिंग से संपर्क कम हो जाता है. यानि जुकाम का पूरी तरह से इलाज भले ही ये न हो, लेकिन ऐसी स्थिति में राहत जरूर देता है.
अच्छी हेल्थ के लिए ये 4 चीजें हैं सबसे जरूरी
एक्सरसाइज
रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी से हड्डियां और मसल्स (मांसपेशियां) मजबूत होते हैं, बॉडी फैट कंट्रोल होता है और डाइजेशन (पाचन) बेहतर होता है. रोज एक्सरसाइज करने वाले बच्चे दिन भर के फिजिकल और इमोशनल चैलेंज का बेहतर तरीके से सामना कर पाते हैं. एक्सपर्ट्स हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मॉडरेट इंटेंसिटी वाली फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह देते हैं.
अच्छी नींद
अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद का बहुत महत्व है. नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को सही से काम करने के लिए नींद जरूरी है. कम नींद से अगले दिन ध्यान लगाने में दिक्कत होती है. लंबे समय तक नींद की कमी से याददाश्त (मेमोरी) और फिजिकल परफॉरमेंस कमजोर हो सकती है.
सब्सटेंस एब्यूज
सब्सटेंस एब्यूज का मतलब है कि जब कोई इंसान डॉक्टर की सलाह के बिना कोई ड्रग (नशा करने वाला पदार्थ) इतनी ज्यादा मात्रा में लेता है, जो उसके लिए खतरनाक हो. या फिर उस नशे की वजह से वो अपने रोजमर्रा के काम, जैसे स्कूल जाना या काम पर जाना, ठीक से नहीं कर पाता. यह शराब (अल्कोहल), गांजा, ट्रांक्विलाइजर (नशीली गोलियां) या अन्य ड्रग्स के रूप में हो सकता है. इससे शरीर को भयानक नुकसान हो सकता है, पारिवारिक रिश्ते बिगड़ सकते हैं और यह जानलेवा भी हो सकता है.
स्मोकिंग और अल्कोहल से दूरी
अल्कोहल (शराब) एक तरह का डिप्रेसेंट ड्रग है, जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को धीमा कर देता है. कुछ ड्रिंक्स के बाद ही यह सोचने और काम करने के तरीके को प्रभावित करता है. लंबे समय तक पीने से पेट और आंतों की समस्या, लिवर डैमेज, हार्ट प्रॉब्लम और ब्रेन डैमेज हो सकता है.
सिगरेट स्मोकिंग में निकोटीन के अलावा, टार और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे खतरनाक केमिकल होते हैं. यह फेफड़ों के कैंसर के 90% मामलों का कारण है.
यह दिल की बीमारी, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ाता है. निकोटीन से ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर होता है.
पेसिव या सेकंडहैंड स्मोक (दूसरों के सिगरेट या सिगार से निकली हुई स्मोक) भी उतनी ही खराब है. यह कैंसर, रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन और अस्थमा जैसी कई बीमारियां पैदा कर सकता है.
तो ये थे हेल्थ से जुड़े कुछ जरूरी जवाब, ताकि आप फिट रहें और बीमारियों से दूर. अपनी सेहत का ध्यान रखें, क्योंकि वेलनेस ही सबसे बड़ी दौलत है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














