83 साल के बुजुर्ग के लिवर में थे गुब्बारे जितने बड़े सिस्ट, एआई तकनीक से की गई सर्जरी

रोगी की लाइफ क्वालिटी पर बीमारियों के असर को पहचानते हुए अपोलो अस्पताल में सीनियर जीआई, बेरिएट्रिक और रोबोटिक सर्जन डॉ. अरुण प्रसाद और उनकी टीम ने सर्जरी के लिए तैयारी की.

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सर्जरी को पित्ताशय के आसपास के सिस्ट को कोई नुकसान पहुंचाए बिना अंजाम दिया गया.
New Delhi:

डॉक्टरों ने मंगलवार को कहा कि एआई-बेस्ड तकनीक का उपयोग करके की गई चैलेंजिंग ब्लैडर सर्जरी के बाद एक 80 साल के व्यक्ति को नया जीवन मिला है. उनकी उम्र को देखते हुए, कोलकाता में सर्जनों ने शुरू में रिलेटेड रिस्क के बारे में चेतावनी देते हुए सर्जरी का प्लान बनाया. हालांकि, दिल्ली के एक प्रमुख निजी अस्पताल ने कहा, सर्जरी के दौरान सर्जिकल टीम को एक अनएक्सपेक्टेड और लाइफ थ्रेटनिंग चैलेंज का सामना करना पड़ा.

एक बयान में कहा गया, "रोगी के लीवर में गुब्बारे जैसे सिस्ट भरे हुए पाए गए, जिससे पित्ताशय का सुरक्षित रूप से पता लगाना असंभव हो गया. भयावह परिणाम के डर से ब्लीडिंग जैसे रिस्क को रोकने के लिए सर्जरी को छोड़ दिया गया."

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इसके बाद 83 वर्षीय मरीज ने नई दिल्ली में डॉक्टरों से दूसरी राय मांगी. रोगी की लाइफ क्वालिटी पर बीमारियों के असर को पहचानते हुए, अपोलो अस्पताल में सीनियर जीआई, बेरिएट्रिक और रोबोटिक सर्जन डॉ. अरुण प्रसाद और उनकी टीम ने सर्जरी के लिए तैयारी की.

"टीम ने आदमी पर इंडोसायनिन ग्रीन एआई फ्लोरोसेंस-असिस्टेड पित्ताशय की सर्जरी सफलतापूर्वक की, जिससे पित्त पथरी रोग और एक बड़े हर्निया के कारण होने वाले गंभीर पेट दर्द से राहत मिली. बिना किसी खून की कमी और पित्ताशय के आसपास के सिस्ट को कोई नुकसान पहुंचाए बिना सर्जरी को अंजाम दिया गया"

डॉक्टरों ने कहा कि इसके साथ ही टीम ने बड़ी आंत की हर्निया का भी इलाज किया.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)