रेबीज के बारे में फैले ये 5 झूठ जो आपको डराते हैं, जानिए रेबीज का साइंटिफिक सच क्या है

Rabies Myths Vs Facts: रेबीज एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली बीमारी है, अगर सही जानकारी, समय पर इलाज हो. इस लेख में हम जानेंगे उन 5 बड़े झूठों के बारे में जो आपको डराते हैं और उनके पीछे छिपा साइंटिफिक सच.

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Rabies Myths vs Facts: रेबीज एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली बीमारी है.

Rabies Myths Vs Facts: रेबीज का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक अजीब सा डर बैठ जाता है, कुत्ते के काटते ही मौत तय, इलाज असंभव, और वैक्सीन बेअसर. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अधूरी या भ्रामक जानकारियां इस डर को और गहरा कर देती हैं. लेकिन, क्या वाकई रेबीज इतना रहस्यमय और लाइलाज है? इस लेख में हम रेबीज से जुड़े पांच सबसे आम झूठों की पड़ताल करेंगे, जो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं और उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक तथ्यों को उजागर करेंगे. क्योंकि, रेबीज एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली बीमारी है, अगर सही जानकारी, समय पर इलाज हो. इस लेख में हम जानेंगे उन 5 बड़े झूठों के बारे में जो आपको डराते हैं और उनके पीछे छिपा साइंटिफिक सच.

झूठ 1. रेबीज का टीका पेट (नाभि के आसपास) में दिया जाता है

कई लोग मानते हैं कि रेबीज का टीका पेट पर दिया जाता है और यह बहुत दर्दनाक होता है. लेकिन यह पूरी तरह गलत है. आज के पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) में टीका हाथ या बांह में दिया जाता है, पेट में नहीं. यह तरीका सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है. यह मिथक ICMR-संबंधित अध्ययन में पाया गया था.

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झूठ 2. रेबीज सिर्फ कुत्तों से होता है

बहुत से लोग मानते हैं कि केवल कुत्ते ही रेबीज फैलाते हैं. हां, विश्व स्तर पर मानव रेबीज मामलों में लगभग 99 प्रतिशत संक्रमण कुत्तों से होता है, खासकर एशिया और अफ्रीका में. लेकिन, अन्य जानवर जैसे चमगादड़, लोमड़ी, शिकारी जंतु (रैकून, स्कंक, सियार आदि) भी संक्रमण फैला सकते हैं.

झूठ 3. पेट में दर्द या मसाले लगाने से उपचार हो जाता है

कुछ लोग दावा करते हैं कि काटने पर हल्दी, मिर्च, नमक या किसी घरेलू उपाय से इलाज हो सकता है. यह एक खतरनाक मिथ है! WHO और CDC दोनों बार-बार कहते हैं कि काटे गए हिस्से को तुरंत और अच्छी तरह साबुन और पानी से 15 मिनट तक धोएं, फिर मेडिकल हेल्प लें. घर पर कोई उपाय पूरी तरह असुरक्षित और अप्रभावी है.

झूठ 4. अगर लक्षण नहीं हैं तो टीका रोक दिया जा सकता है

कई लोग सोचते हैं कि अगर काटने के बाद कोई लक्षण नहीं होते, तो आरवीवी (टीका) लेना बंद कर सकते हैं. यह एक जानलेवा भ्रांति है. ICMR से जुड़े अध्ययन में पाया गया कि लोग केवल तब टीका लेते हैं जब लक्षण शुरू हो जाते हैं, यह बहुत खतरनाक है. वास्तव में, रेबीज लक्षण दिखने से पहले ही घातक हो सकता है, इसके बाद बचाव लगभग असंभव होता है. इसलिए PEP पूरा करना जरूरी होता है.

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झूठ 5. एक बार संक्रमित होने पर इलाज संभव है

कुछ अफवाहें यह बताती हैं कि रेबीज में इलाज संभव है. अचानक बच निकलना या किसी दिव्य इलाज से ठीक होना. CDC और WHO दोनों साफतौर पर कहते हैं कि जैसे ही लक्षण दिखने लगते हैं, मसलन हाइड्रोफ़ोबिया (पानी से डर), आघात, भ्रम तो उस स्थिति में इलाज लगभग नामुमकिन और घातक बचा रहता है .

लब्बोलुआब क्या है?

सोशल मीडिया पर फैले इन पांच मिथ्स से डरना नहीं, बल्कि सावधान और जागरूक होने की जरूरत है. ICMR, CDC एवं WHO जैसी संस्थाएं यह साफ करती हैं कि रेबीज 100 प्रतिशत घातक लेकिन 100 प्रतिशत रोका जा सकता है, बशर्ते सही इलाज समय पर लिया जाए.

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क्या करना चाहिए?

  • काटते ही जख्म को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं.
  • तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
  • पूरी PEP (वैक्सीन और जरूरी हो तो इम्यूनोग्लोब्युलिन) सीरीज पूरी करें.
  • पालतू और आवारा कुत्तों को वैक्सीनेट कराएं और जंगली जानवरों से सावधान रहें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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