बुधवार को विधि विधान से विघ्नहर्ता का पूजन हर लेगा हर बाधा, जानिए पूजा विधि और भोग में क्या चढ़ाएं

बुधवार के व्रती को एक समय ही खाना चाहिए. आहार में दही, हरी मूंग का हलवा, या हरी रंग की वस्तु से तैयार चीजें ग्रहण करना चाहिए. दूध व फल का भी सेवन किया जा सकता है.

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बुधवार को रख रहे हैं व्रत तो जान लें नियम और भोग में क्या चढ़ाएं.

बुधवार के दिन प्रथम पूजनीय देव गणपति पूजन का विधान है. शुभ कार्य के पहले गणपति बप्पा की पूजा का विधान है. उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है यानी वे हर बाधा को हरने वाले हैं. कहते हैं इस दिन विधि विधान से गणपति बप्पा की पूजा करने से हर तरह की परेशानी और संकट दूर होते हैं और सुख समृद्धि का वास होता है. आइए जानते हैं बुधवार को विधि विधान से कैसे करें गणपति की अराधना….

कैसे करें पूजन 

व्रती सुर्योदय से पहले उठकर स्नान के बाद हरे रंग का स्वच्छ वस्त्र धारण कर तांबे के पात्र में गणेश भगवान की स्थापना करें. पूजन स्थल पर चेहरा पूर्व दिशा की ओर रखकर आसन पर बैंठे. गणेश जी को पुष्प, धूप, दीप, चंदन और कपूर अर्पित करें. बप्पा को दुर्वा अत्यंत प्रिय हैं उन्हें दुर्वा जरूर चढ़ाएं. इसके बाद बप्पा को मोदक का भोग लगाए और ऊं गं गणपतये नम:  का श्रद्धा पूर्वक 108 बार जाप करें.

व्रत कथा

कथा के अनुसार समतापुर निवासी मधुसूदन पत्नी संगीता को हठपूर्वक बुधवार को मायके से विदा करा लाया. रास्ते में बैलगाड़ी का पहिया टूट गया. पत्नी को प्यास लगने पर वह पानी लेने चला गया. वापस आने पर अपने हमशक्ल को पत्नी के पास बैठा पाया. दोनों में संगीता को लेकर विवाद होने लगा. मामला राजा के पास पहुंचा. राजा ने दोनों को जेल में डालने का आदेश दिया. परेशान मधुसूदन को बुधदेवता की याद आई. उसने बुधवार को पत्नी की विदाई के लिए देव से क्षमा मांगी. फिर पति पत्नी नियमित रूप से बुद्धवार का व्रत रखने लगें.

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हरे रंग की चीजें करें ग्रहण

बुधवार के व्रती को एक समय ही खाना चाहिए. आहार में दही, हरी मूंग का हलवा, या हरी रंग की वस्तु से तैयार चीजें ग्रहण करना चाहिए. दूध व फल का भी सेवन किया जा सकता है.

ये न खाएं

  • व्रत के दिन नमक और पान का सेवन नहीं करना चाहिए.  

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क्यों लगता है 21 मोदक का भोग

मान्यता है कि गणपति को 21 मोदक का भोग लगाने से सभी देवी देवताओं को तृप्ति प्राप्त हो जाती है. अमृत के समान है मोदकप पद्म पुराण में वर्णन के अनुसार एक बार देवताओं ने माता पार्वती को अमृत से बना मोदक दिया. गणेश व कार्तिकेय माता से मोदक मांगने लगे. देवी पार्वती ने मोदक के महत्व का वर्णन किया. मोदक ग्रहण करने वाला शास्त्रों का ज्ञाता, तंत्रों का प्रवीण, कलाओं का जानकार और अमर हो जाता है.  

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