Fish Benefits: पान, माछ और मखान मिथिला के प्रतीक चिह्नों में शामिल है. आज हम इनमें से माछ यानी मछली की चर्चा करेंगे. कोसी सहित संपूर्ण मिथिला में लगभग 51 से भी अधिक प्रजातियों की मछलियां पायी जाती है. कुछ कोसी सहित इस इलाके में बहने वाली नदियों से निकाली जाती है, तो कुछ पोखरों और तालाबों में जीरा (मछली के अंडे से निकली टिनी मछली) डालकर पाले जाते हैं और कुछ मछलियां यहां के चांप या चौर से निकाली जाती है. कोसी में पायी जाने वाली प्रमुख मछलियों में रोहू, कतला, सिंघी, मांगुर, बुआरी, कांटी, कपटी, पोठी, सौरा, हिलसा, नैनी, बचवा, सिल्वर, कोमल, भुन्ना, रूपचंद, ब्रिगेड, बामी, लट्टा, गैंची, कौआ, टेंगरा, चेचरा (पाबदा), रेवा, अनहै, कबय, कोतरी, गरैय, गरचुन्नी, झींगा (इचना), मारा (मरवा), चेंगा सहित अन्य प्रमुख हैं.
इन मछलियों में भी चेचरा की बात है निराली
कोसी में पायी जानी वाली देशी मछलियों में भी चेचरा मछली की बात निराली है. हल्के सफेद और काले रंग की इस मछली का मुंह लाल होता है. इन मछली की अधिकतम लंबाई छह ईंच होती है. चेचरा मछली अधिकतर चांप या चौर से निकाली जाती है. यह मछली अत्यधिक स्वादिष्ट होती है और इसमें बीचोबीच सिर्फ एक कांटा होता है. लिहाजा बच्चे भी इसे आसानी से खाते हैं. उपलब्धता कम और मांग अधिक होने के कारण इसकी कीमत काफी अधिक होती है.
पश्चिम बंगाल कर रहा कमी पूरा
मिथिला के क्षेत्र में चेचरा या पलवा मछली की अत्यधिक डिमांड के अनुरुप उपलब्धता कम होने की स्थिति देख पश्चिम बंगाल के मत्स्य किसानों ने इस गैर पालित चेचरा मछली का व्यापक पैमाने पर पालन कर कोसी क्षेत्र से विलुप्त होती जा रही चेचरा मछली की आपूर्ति को पूरा करने में सफल रहा है. बंगाल में इस मछली को पाबदा भी कहा जाता है. सिर्फ सहरसा के मछली बाजार में प्रत्येक माह आठ से दस हजार किलो से ज्यादा चेचरा मछली की आवक हो रही है. इसके अलावा गांव-गांव तक के हाटों में इसकी चमक दिख रही है. देशी चेचरा से बंगाल से आने वाली मछली के सिर्फ रंग में अंतर है. यह देसी की तरह पीली-काली न होकर सफेद होती है. लेकिन देसी की तरह ही इसका मुंह भी लाल ही होता है.
ये भी पढ़ें: शहनाज हुसैन ने यंगस्टर के लिए शेयर किया एंटी-एक्ने स्किन केयर रूटीन
हृदय रोगियों के लिए है वरदान
इस मछली में हाई प्रोटीन, ओमेगा थ्री फैटी एसिड और विटामिन-डी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. लिहाजा इसका सेवन करने वालों का हार्ट हेल्थ, स्किन ग्लो, ब्रेन फंक्शन सही रहता है. ये मछली बोनलेस और माइल्ड फ्लेवर वाली होती है. इसलिए इसे बच्चे भी आसानी से खा सकते हैं. इसकी बनावट स्मूथ, पतली बॉडी और कम फैट वाली होती है. चेचरा मछली के शरीर पर कोई शल्क नहीं होता है. अच्छी बात तो यह है कि जो पौष्टिक तत्व देसी चेचरा में पाये जाते हैं, वो सभी तत्व बंगाल की इस पाली जाने वाली मछलियों में भी होती है.
चेचरा फिश करी रेसिपी ( Fish Curry Recipe)
सामग्री
- 6 टुकड़े मछली
- 3 1/2 टी स्पून नमक
- 3 टी स्पून हल्दी
- 2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर
- 1 टी स्पून तेल
- 10 कलियां लहसुन
- 2 हरी मिर्च
- 1 टेबल स्पून राई
- 1 टी स्पून काली मिर्च
- 1 टी स्पून जीरा
- 2 साबूत लाल मिर्च
- 1 टी स्पून मेथी दाना
- 2 टमाटर , टुकड़ों में कटा हुआ
- 2 टेबल स्पून तेल
- 2 तेजपत्ता
- 1/2 कप पानी
- 1 टी स्पून गरम मसाला
- 2 टी स्पून हरा धनिया
रेसिपी
एक बाउल में चेचरा मछली के टुकड़े लें, इसमें 2 चम्मच नमक, हल्दी, लाल मिर्च और तेल डालें. सभी मसाले मिलाकर 15 मिनट के लिए मैरीनेट होने के लिए छोड़ दें. अब एक जार में लहसुन, हरी मिर्च, राई, काली मिर्च, जीरा, साबूत लाल मिर्च, मेथी दाना लें. इसी के साथ इसमें हल्दी, नमक और टमाटर डालें. इन सभी सामग्री को एक साथ पीस कर पेस्ट बना लें. अब एक पैन में थोड़ा सा तेल लें और इसमें राई डालें. मैरीनेट किए हुए मछली के टुकड़े इसमें डालकर फ्राई करें. पैन में तेजपत्ता और तैयार किया गया पेस्ट डालें. मसाले को भूने और इसमें 1/2 टी स्पून नमक डालकर मिक्स करें. इस मछली के पीस डालकर थोड़ा पानी डालें.धीमी आंच पर 5 से 10 मिनट पकाएं. अब ग्रेवी में गर्म मसाला और हरा धनिया डालकर मिलाएं. गर्म-गर्म सर्व करें.
History of Samosa- Swaad Ka Safar | समोसे का इतिहास | जानें ईरान से भारत कैसे पहुंचा समोसा
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














