हर साल 8 मई (8th May) को पूरी दुनिया में विश्व थैलेसीमिया दिवस (World Thalassemia Day) मनाता है. यह एक अनुवांशिक विकार है. जो माता-पिता से बच्चों में आता है. थैलेसीमिया एक स्थायी रक्त विकार (Chronic Blood Disorder) है. बच्चे को माइनर थैलेसीमिया होगा या मेजर थैलेसीमिया यह पूरी तरह से उसके माता पिता क्रोमोजोम पर निर्भर होता है. अगर मां या पिता दोनों में से किए एक के शरीर में मौजूद क्रोमोजोम खराब होते हैं, तो बच्चे मे माइनर थैलेसीमिया की संभावना बढ़ती है. वहीं, मां और पिता दोनों के ही क्रोमोजोम खराब हो जाते हैं, तो यह मेजर थैलेसीमिया की स्थिति पैदा कर देता है. ऐसा होने पर बच्चे में जन्म के तीन से 6 महीने के बाद खून बनना बंद हो सकता है.
ऐसे में अगर गर्भ में पल रहे बच्चे में इस रोग के होने की संभावना है, तो गर्भवती महिला को डॉक्टर के संपर्क और निगरानी में रहना चाहिए. इसके साथ ही साथ मां को अपने आहार का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए. जानिए गर्भावस्था में कैसा हो आहार कि बच्चे में थैलेसीमिया के खतरे को कम किया जा सके.
गर्भावस्था में कैसा हो आहार कि बच्चे में थैलेसीमिया के खतरे को कम किया जा सके.
1. चुकंदर एक ऐसी चीज है जो खून बढ़ाने का रामबाण उपाय है. आप चाहें तो इसे सब्जी या सलाद के रूप में नियमित तौर पर ले सकती हैं. इसके अलावा चुकंदर का जूस पीना भी बहुत फायदेमंद होता है. पालक में भी पर्यापत मात्रा में आयरन होता है. कच्चे केले का सेवन भी आयरन की कमी को दूर करने में फायदेमंद होता है.
2. गर्भवती महिला चाहे तो नियमित रूप से अपने आहार में खजूर को शामिल कर सकती है. खजूर के सेवन से आयरन की कमी दूर हो जाती है. साथ ही सूखे मेवों के सेवन से शरीर को ताकत भी मिलती है.
3. इसके अलावा कई ऐसे फल भी होते हैं जो खून की कमी को पूरा करने में सहायक होते हैं. किशमिश और अनार खासतौर पर गर्भवती को दिया जाना चाहिए. हालांकि गर्भावस्था के दौरान कई तरह के हॉर्मोनल बदलाव होते हैं. ऐसे में इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि गर्भवती महिला जो कुछ भी खाए वो चिकित्सक की सलाह के बाद ही ले.
(यह लेख प्रीति सेठ, पोषण विशेषज्ञ और कॉस्मेटोलॉजिस्ट, पचॉली वेलनेस क्लिनिक संस्थापक, से बातचीत पर आधारित है.)