पांच बड़े कारण जिसकी वजह से आमने-सामने हैं बीजेपी और नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सभी विधायकों और सांसदों की एक बैठक बुलाई है, जो उनकी नाराजगी और गठबंधन सहयोगी भाजपा के साथ बढ़ते टकराव की ओर इशारा कर रहा है.

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पटना/नई दिल्ली:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपनी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सभी विधायकों और सांसदों की एक बैठक बुलाई है, जो उनकी नाराजगी और गठबंधन सहयोगी भाजपा के साथ बढ़ते टकराव की ओर इशारा कर रहा है.

ये 5 बड़े कारण जिसकी वजह से बीजेपी से अलग हो सकती है जेडीयू:

  1. नीतीश कुमार चाहते हैं कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को हटा दिया जाए. मुख्यमंत्री ने विजय कुमार सिन्हा पर कई बार अपना आपा खोया है, उन पर नीतीश कुमार ने अपनी सरकार के खिलाफ सवाल उठाकर संविधान का खुले तौर पर उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.
  2. नीतीश कुमार अपनी पार्टी जद (यू) को जून 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार में केवल एक ही मंत्री पद की पेशकश की बात से भी नाराज हैं. उन्होंने बिहार के विस्तारित मंत्रिमंडल में अपनी पार्टी के आठ सहयोगियों को शामिल कर पलटवार किया था और एक को भाजपा के लिए खाली छोड़ दिया था.
  3. जद (यू) प्रमुख राज्य और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ कराने के खिलाफ हैं. राज्यों और संसद के चुनाव एक साथ कराने का विचार पीएम मोदी ने किया था, जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है. यह उन मुद्दों में से एक था, जहां जद (यू) को विपक्ष के साथ आम जमीन मिली.
  4. सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल में भाजपा के मंत्रियों के चयन में एक बड़ा हिस्सा चाहते हैं. सूत्रों ने कहा कि हालांकि, यह कदम गृह मंत्री अमित शाह की बिहार पर कथित पकड़ को कमजोर करेगा, जिसे उनके करीबी के रूप में देखा जाता है. उदाहरण के लिए, भाजपा के सुशील मोदी, जो नीतीश कुमार कार्यकाल के अधिकांश सालों तक बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे थे, उनको पार्टी नेतृत्व ने बिहार से बाहर कर दिया.
  5. नीतीश कुमार भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा सहयोगियों को केंद्रीय मंत्रियों के रूप में सांकेतिक प्रतिनिधित्व की पेशकश पर गठबंधन सहयोगी से भी नाराज हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह, जिन्होंने शनिवार को जद(यू) छोड़ दिया था, उन्होंने केंद्रीय मंत्री बनने के लिए नीतीश कुमार को दरकिनार करते हुए, भाजपा नेतृत्व से सीधे तौर पर बातचीत की थी. जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन (ललन) सिंह ने रविवार को कहा, "केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की क्या जरूरत है? मुख्यमंत्री ने 2019 में फैसला किया था कि हम केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे."
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