Shakuni Mama Mandir: भारत के अलग-अलग हिस्सों में सैकड़ों मंदिर (Temples) मौजूद हैं. जिनमें देवी-देवताओं के अलग-अलग स्वरूपों की मूर्तियां हैं. इन मंदिर में भक्त दर्शन के लिए जाते हैं और वहां पूजा-अर्चना भी करते हैं. भरत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां किन्हीं देवी-देवताओं की मूर्ति नहीं है, बल्कि वहां महाभारत युद्ध (Mahabharata) को रचने वाले कौरवों के मामा शकुनि (Shakuni) की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो इंसान इनकी पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में.
शकुनि मामा मंदिर की कथा I Shakuni Mama Mandir Story
शकुनि मामा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब महाभरत युद्ध का अंत हुआ तो कौरवों के मामा शकुनी को प्रयश्चित हुआ कि युद्ध से बहुत अनर्थ हुआ है. उन्हें इस बात का भी गम था कि महाभारत में न केवल सैकड़ों लोग मारे गए, बल्कि पूरे साम्राज्य की क्षति हुई है. इन सब बातों के पश्चाताप में मामा शकुनि बेहद कुंठित हो गए और गृहस्थ जीवन से संन्यास जीवन में चले गए. कहा जाता है कि कुछ समय के बाद मामा शकुनि केरल राज्य के कोल्लम में अपने शोक को दूर करने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की. कहा जाता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से उनकी चिंता और शोक दूर हो गया.
शकुनि मामा मंदिर कहां है I Where is Shakuni Mama Mandir
जिस स्थान पर मामा शकुनि ने तपस्या की थी, वर्तमान में वहां मंदिर अवस्थित है. इस मंदिर का नाम मायम्कोट्टू मलंचारुवु मलनाड मंदिर है. कहा जाता है कि जिस पत्थर पर बैठकर मामा शनुनि ने तपस्या की थी, उस पत्थर की पूजा की जाती है. मौजूदा समय में इस स्थान को पवित्रेश्वरम् कहा जाता है. इस मंदिर में मामा शकुनी के अलावा देवी माता, नागराज और किरातमूर्ति की पूजा की जाती है. साथ ही इस स्थान पर हर साल मलक्कुडा महोलसवम उत्सव मनाया जाता है. इस अवसर पर मामा शकुनि की भी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि एक बार कौरव, पांडवों को ढूंढ़ते हुए इस स्थान पर पहुंचे थे. उस वक्त उन्होंने शकुनि मामा को कोल्लम के बारे में बताया था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)