Paush Putrada Ekadashi 2023 Date, Time, Shubh Muhurat, Pujan Vidhi: नया साल 2023 शुरू होने में अब महज 3 दिन बाकी रह गए हैं. इसके बाद साल 2023 का शानदार आगाज होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, नए साल में व्रत-त्योहारों की शुरुआत पुत्रदा एकादशी से हो रही है. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को खास महत्व दिया जाता है. ऐसे में नए साल 2023 का पहला व्रत एकादशी ही है. शास्त्रों में पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा गया है. धार्मिक मान्यता है कि जो कोई इस व्रत को करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है. इसके अलावा संतान संबंधी संकटों को दूर करने के लिए भी यह एकदाशी व्रत खास माना जाता है. आइए जानते हैं कि नए साल की शुरुआत में पौष पुत्रदा एकादशी कब है, इसके लिए शुभ मुहूर्त क्या है और पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजा-विधि क्या है.
पौष पुत्रदा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त | Paush Putrada Ekadashi 2023 Date and Shubh Muhurat
2023 में पहला व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का है. एकादशी की पूजा भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर निःसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है. पौष मास का अंतिम एकादशी व्रत 2 जनवरी साल 2023, सोमवार को रखा जाएगा. एकादशी तिथि का प्रारंभ 1 जनवरी शाम 7:12 से होने जा रहा है, जो 2 जनवरी शाम 8:24 पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार पुत्रदा एकादशी व्रत 2 जनवरी सोमवार को रखा जाएगा. जबकि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 3 जनवरी को सुबह 07.16 से सुबह 09.22 तक किया जाएगा.
पौष पुत्रदा एकादशी पूजन विधि | Paush Putrada Ekadashi Pujan Vidhi
- हर एकादशी तिथि की तरह पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम भी दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाते हैं. ऐसे में यदि आप एकादशी का व्रत करने जा रहे हैं तो दशमी तिथि को दूसरे प्रहर का भोजन करने के बाद सूर्यास्त के बाद भोजन न करें.
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- दशमी तिथि को सात्विक भोजन ही ग्रहण करें और ब्रह्मचार्य का पालन करें.
- एकादशी तिथि को प्रातःकाल जल्दी उठें और स्नानादि करने के पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करें.
- व्रत का संकल्प करने के बाद गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से भगवान विष्णु नारायण की पूजा करें.
-इस व्रत को निर्जला यानि बिना जल के किया जाता है। यदि विशेष परिस्थितियों में व्रती की क्षमता नहीं है तो संध्या काल में दीपदान के पश्चात फलाहार किया जा सकता है.
-एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन यानि द्वादशी तिथि पर किया जाता है.
-द्वादशी तिथि पर भी प्रातः जल्दी स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पूजन करें और भोजन बनाएं. उसके बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को सम्मान पूर्वक भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें. उसके बाद स्वयं भी व्रत का पारण करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)