Jyestha Month 2022: हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने का विशेष महत्व है. हर महीना किसी ना किसी देवी या देवता को समर्पित होता है और उस महीने में संबंधित देवी-देवता के निमित्त व्रत-पूजा की जाती है. वैशाख (Vaishakh Month 2022) का महीना अब समाप्ति की ओर है. इसके बाद ज्येष्ठ का महीना (Jyestha Month 2022) शुरू हो जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस महीने में सूर्य देव (Surya Dev) और वरुण देव (Varun Dev) और हनुमानजी (Hanumanji) की पूजा विशेष फलदायी होती है. पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास (Jyestha Mass) 17 मई 2022 से शुरू हो रहा है. जिसका समापन 14 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyestha Purnima 2022) के साथ होगा. आइए जानते हैं ज्येष्ठ मास का महत्व (Jyestha Month significance) और इसमें क्या करें और क्या नहीं.
ज्येष्ठ मास का महत्व क्या है (Jyestha Month Significance)
ज्येष्ठ के महीने में सूर्य की गर्मी चरम पर होती है. इस कारण के इस महीने में पानी का महत्व बढ़ जाता है. इसलिए इस महीने में जल संरक्षण पर जोड़ दिया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में सूर्य की उपासना बेहद फलदायी होती है. इसके साथ ही इस महीने में जल के दान का विशेष महत्व बताया गया है. दरअसल इस महीने में पानी की दिक्कत होती है. जिसकी वजह से कई लोगों को पीना का पानी नहीं मिल पाता है. इसलिए इस महीने में प्यासे को पानी पिलाना पुण्य का काम माना जाता है.
ज्येष्ठ मास में क्या करना माना गया है अच्छा
वैसे तो सूर्य को जल देना हमेशा ही शुभ माना गया है, लेकिन ज्येष्ठ के महीने में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. मान्यता है कि इस महीने में नियमित सूर्य को जल देना अत्यंत शुभ होता है. धार्मिक मान्यतानुसार, ज्येष्ठ के महीने हनुमानजी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी. जिस कारण इस महीने हनुमानजी की उपासना बेहद खास मानी जाती है. इसके साथ ही हमुमानजी को तुलसी चढ़ाना अच्छा माना गया है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)