Tulsidas Jayanti 2022: तुलसीदास जयंती आज है. तुलसीदास जी (Tulsidas) रामचरितमानस काव्य (Ramcharitmanas) के रचयिता हैं. संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे आज के समय में उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने की पहले थे. रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भगवान श्रीराम (Lord Rama) के जीवन को दर्शाया है. कहते हैं कि जिसने भी तुलसीदास जी के दोहे (Tulsidas ke dohe) को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया, वह धन्य हो गया. तुलसीदास जी की दोहे में जीवन के गूढ़ रहस्य छिपे हैं. अगर इन दोहों को जीवन में अक्षरशः उतार लिया जाए तो तरक्की होना तय है. आइए तुलसीदास जयंती पर जानते हैं गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित कुछ खास दोहे.
तुलसीदास के दोहे | Tulsidas ke dohe
तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान
भीलां लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण
तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर
बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर
काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान
तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु
तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग
तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए
दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान
तुलसी दया न छांड़िए ,जब लग घट में प्राण
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)