शिरूर मठ के मठाधीश स्वामी लक्ष्मीवरा
खास बातें
- शिरूर मठ के प्रमुख स्वामी लक्ष्मीवरा का निधन हो गया है
- मौत की वजह फूड प्वॉइजनिंग बताई गई है
- शिरूर मठ के लाखों समर्थक हैं
नई दिल्ली: Lakshmivara Tirtha Swami of Shiroor Mutt dies: कर्नाटक के मंगलुरु में शिरूर मठ (Shiroor Mutt) के लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी (Lakshmivara Tirtha Swami) का गुरुवार सुबह निधन हो गया. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक स्वामी को फूड प्वॉइजिनिंग हो गई थी. तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. उनकी उम्र 55 साल थी. आपको बता दें कि शिरूर मठ उडुप्पी जिले में है और इसके लाखों अनुयायी हैं. स्वामी लक्ष्मीवरा उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि वो चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने बतौर निर्दलीय उम्मीवदार नामांकन भी भरा, जिसे उन्होंने बाद में वापस ले लिया. यहां पर हम आपको शिरूर मठ और उसके 30वें गुरु लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी के विवादित जीवन के बारे में बता रहे हैं:
कांची शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का 82 वर्ष की आयु में निधन
शिरूर मठ की स्थापना
तत्ववाद का ज्ञान देने वाले जगद्गुरु श्री माधवाचार्य ने उडुप्पी में 12वीं सदी में कृष्ण की मूर्ति स्थापति की थी. यही नहीं उन्होंने आठ संतों को भी नियुक्त किया, जिनका काम आपसी सहयोग (पर्याय) से श्री कृष्ण की पूजा करना था. इन संतों की पीढ़ियों ने इस काम को जारी रखा और वे आठ अलग-अलग मठों के मूल पुरुष बन गए. इन आठ मठों को अष्ठ मठ कहा जाता है.
श्री माधवाचार्य ने श्री वामन तीर्थ को संन्यास दिलाकर श्री कृष्ण की पूजा के लिए नियुक्त किया और उन्हें श्रीदेवी और भूदेवी समेत भगवान श्री विठ्ठल की मूर्तियां सौंप दीं. श्री वामन तीर्थ की पीढ़ियों ने इस परंपरा को जारी रखा और शिरूर मठ कहलाए. श्री वामन तीर्थ इस मठ के पहले मूल पुरुष थे. माधवाचार्य के बाद श्री वामन तीर्थ शिरूर मठ की गुरु परंपरा के पहले गुरु थे. इनका काल 1249 से 1327 तक था. तब से लेकर अब तक शिरूर मठ के 30 गुरु रह चुके हैं.
कौन थे लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी?
लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी शिरूर मठ के 30वें और वर्तमान गुरु थे. उनका जन्म 8 जून 1964 को हुआ था. उनके पिता का नाम श्री विठ्ठल आचार्य और मां कुसुमअम्मा थीं. उन्होंने आठ वर्ष की उम्र में 1971 में श्री सोद मठ के प्रमुख श्री विश्वोत्तमा से संन्यास की दीक्षा ली थी. उन्होंने श्री अनंत रामाचार्य से वेदों की शिक्षा ग्रहण की थी. उन्हें श्री कृष्ण की मूर्ति को बेहद अनोखे अंदाज से सजाने के लिए भी जाना जाता है.
योग की ताकत से पानी पर 125 मीटर तक दौड़ने का दावा, जिसने भी Video देखा हैरान रह गयालक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी का विवादित जीवन
कई बार विवादों के चलते लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी का नाम सुर्खियों में छाया रहा. हाल ही में उनके मठ के देवताओं की मूर्तियों को लेकर भी खूब विवाद हुआ था. उन्होंने अपनी बीमारी के चलते मूर्तियों की सेवा के लिए उन्हें अदमार मठ के ईशप्रिय तीर्थ स्वामी को सौंप दिया था. जब बाद में वह ठीक हो गए तो उन्होंने मूर्तियां वापस मांगी. लेकिन अष्ठ मठ के छह प्रमुखों ने मूर्तियां देने से इनकार कर दिया और साथ ही एक शर्त भी रखी. उनका कहना था कि लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी को एक जूनियर की नियुक्ति करनी होगी. यह बात लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी को मंजूर नहीं थी और उन्होंने उनके खिलाफ केस दर्ज करने की धमकी भी दी.
इसके अलावा लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी का नाम उस वक्त भी सुर्खियों में रहा जब उनकी एक वीडियो रिकॉर्डिंग वायरल हो गई. इस वीडियो को 13 मार्च को कन्नड़ टीवी चैनल में दिखाया गया था, जिसमें वह अष्ठ मठ के दूसरे प्रमुखों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कर रहे थे. लेकिन स्वामी लक्ष्मीवरा का कहना था कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है और वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है. इस वीडियो से अष्ठ मठ के दूसरे प्रमुख इतने नाराज हुए कि उन्होंने मूर्तियों को नहीं लौटाने का फैसला किया.
यही नहीं लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी ने उस वक्त हलचल मचा दी थी जब उन्होंने कहा था कि वह मार्च 2018 में कर्नाटक विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. नतीजतन उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवर के रूप में नामांकन भरा. ऐसा करने वाले वह अष्ठ मठ के पहले संत थे. हालांकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए अपना नामांकन वापस ले लिया कि वह पीएम नरेंद्र मोदी को बहुत मानते हैं.