Pradosh Vrat 2024: नवंबर में इस दिन रखा जाएगा अगला प्रदोष व्रत, जानिए किस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा

Pradosh Vrat 2024 Date: मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत नवंबर में रखा जाएगा. यहां जानिए प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और इस व्रत के महत्व के बारे में. 

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Pradosh Vrat 2024 Date: मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत नवंबर में रखा जाएगा. यहां जानिए प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और इस व्रत के महत्व के बारे में. 

Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. हर महीने 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. एक प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखते हैं. माना जाता है कि प्रदोष व्रत पर मान्यतानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) का पूजन किया जाए तो जीवन से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है, आरोग्य का वरदान मिलता है और खुशहाली बनी रहती है. यहां जानिए मार्गशीर्ष महीने का पहला और नवंबर का आखिरी प्रदोष व्रत कब रखा जा रहा है और इस दिन किस शुभ मुहूर्त में भोलेनाथ की पूजा संपन्न की जा सकती है. 

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प्रदोष व्रत कब है | Pradosh Vrat Date 

पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर की सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो जाएगी और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 29 नवंबर को सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर होगा. ऐसे में 28 नवंबर, गुरुवार के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. 

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 

प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है. ऐसे में प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) शाम 5 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. इस समयावधि में भगवान शिव की पूजा संपन्न की जा सकती है. 

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कैसे करते हैं प्रदोष व्रत की पूजा 

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूरे मनोभाव से प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है, स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत रखा जाता है. पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करने के बाद भगवान शिव की पूजा की जाती है. असल पूजा रात के समय प्रदोष काल में होती है. पूजा करते हुए शिवलिंग पर दूध, शहद, धतूरा और बेलपत्र आदि अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद शिवलिंग के सामने दीपक जलाया जाता है. भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है, शिव चालीसा का पाठ होता है और प्रदोष व्रत की कथा पढ़कर प्रदोष व्रत की पूजा पूरी होती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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