पूर्वजों के आशीर्वाद से खुलते हैं तरक्की के रास्ते, जानिए उन्हें प्रसन्न करने के क्या हैं तरीके

जिन लोगों पर पितरों को आशीर्वाद रहता है उन्हें जीवन में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. पुर्वजों के आशीर्वाद से लोग तरक्की और सुख-समृद्धि प्राप्त करते है.

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पीपल के पेड़ की पूजा और उसके नीचे सरसो के तेल से दिया जलाने से भी पूर्वज प्रसन्न होते हैं.

Rituals For Ancesstors: जिन लोगों पर पितरों का आशीर्वाद रहता है उन्हें जीवन में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. पुर्वजों के आशीर्वाद से लोग तरक्की और सुख-समृद्धि प्राप्त करते है. हिंदू धर्म में पितरों का बहुत महत्व है. पितरों को प्रसन्न और संतुष्ट रखने के लिए अमावस्या की तिथि को श्राद्ध और तर्पण का अनुष्ठान किए जाने की परंपरा है. माना जाता है कि जिन लोगों पर पितरों का आशीर्वाद ( Ancestors blessing) रहता है, उन्हें जीवन में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. पुर्वजों के आशीर्वाद से लोग तरक्की और सुख समृद्धि प्राप्त करते हैं. किसी कारण से पुर्वजों के नाराज होने पर पितृ दोष (Pitra dosh) का सामना करना पड़ता है जिससे कई तरह की परेशानियां होने लगती है. पितरों को प्रसन्न रखने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कई उपाय बताएं (Rituals for ancestors blessing) गए हैं. इन उपायों को अपनाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पुर्वजों को आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं पितरों को प्रसन्न रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए.

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पीपल में जल देना

पितरों को प्रसन्न रखने के लिए हमें प्रतिदिन पीपल के पेड़ को जल देना चाहिए. पेड़ को जल देने के बाद सात बार पेड़ की परिक्रमा करें. इससे पितृ दोष कम होता है.

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पीपल के पेड़ की पूजा

पीपल के पेड़ की पूजा और उसके नीचे सरसों के तेल से दिया जलाने से भी पूर्वज प्रसन्न होते हैं. दिया जलाने के लिए सरसो के तेल का उपयोग करना चाहिए और तेल में हमेशा काले तिल डाल देने चाहिए.

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दक्षिण दिशा में अर्घ्य

पूर्वजों की प्रसन्नता के लिए प्रतिदिन जल में काला तिल डालकर दक्षिण की दिशा में अर्घ्य दें. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है.

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अमावस्या को पिंडदान

हर माह की अमावस्या तिथि को पूर्वजों के लिए श्राद्ध और पिंडदान करना चाहिए. इससे परिवार पर से पितृ दोष की छाया हट जाती है.

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संध्या में दक्षिण दिशा में दिया

पितृ दोष से मुक्ति के लिए हर दिन संध्या के समय आचमन करने के बाद तेल से या जलाकर दक्षिण की दिशा में रखना चाहिए. दिये को घर के छत पर या दरवाजे के बाहर रखें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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