एक उंगली से ह‍िल जाती है पांडव श‍िला, जान‍िए इस चमत्‍कार‍िक शिला के पीछे का रहस्‍य

हिमाचल के मंडी से पांडवों का गहरा नाता रहा है. यहां के कई क्षेत्रों में पांडवों से जुड़े मंदिर और निशानियां आज भी मौजूद हैं, जिनमें लोगों की गहरी आस्था है. 

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मंडी जिले के जंजैहली के कुथाह गांव में एक विशाल चट्टान भी है, जिसे पांडव शिला के नाम से जाना जाता है.
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Pandav shila significance : हिमाचल के मंडी शहर को छोटे काशी के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकि यहां पर 81 प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, जिनमें अधिकतर मंदिर भगवान शिव के हैं. कहा जाता है कि मंडी रियासत के राजाओं को भगवान शिव में अटूट आस्था थी. यही कारण है यहां पर शिव मंदिरों का निर्माण सबसे ज्यादा हुआ. आपको बता दें कि मंडी से पांडवों का गहरा नाता रहा है. यहां के कई इलाकों में पांडवों से जुड़े मंदिर और निशानियां आज भी हैं जिनसे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.. 

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मंडी जिले के जंजैहली के कुथाह गांव में एक विशाल चट्टान है, जिसे पांडव शिला के नाम से जाना जाता है. इस शिला को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं, जिसमें से एक यह है कि विशालकाय चट्टान एक उंगली से हिल जाती है. इसके अलावा और क्या मान्यताएं हैं इससे जुड़ी हुई, आइए जानते हैं आगे लेख में...

पांडव शिला से जुड़ी क्या है मान्यता - What is the belief associated with Pandav Shila

पांडव शिला को लेकर लोगों का कहना है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां पर रुके थे और इसे अज्ञातवास के दौरान निशानी के तौर पर रखा था. मान्यता है इस शिला को श्रद्धा के साथ अगर हिलाए तो यह हिल जाती है. लेकिन अगर आपके मन में श्रद्धा भाव नहीं है तो फिर आप कितनी भी मेहनत कर लीजिए यह पांडव शिला अपनी जगह से टस से मस नहीं होगी. आपको बता दें कि जिनसे यह पांडव शिला हिल जाती है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

वहीं, इस शिला पर कंकड़ मारने की भी एक मान्यता है. कहते हैं कि अगर आपका फेंका कंकड़ शिला पर जाकर टिक जाए तो फिर आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही यह भी मान्यता है जिनकी संतान नहीं हैं उन्हें संतान सुख भी प्राप्त होता है. 

किंवदंति है कि जब अज्ञातवास के दौरान पांडव हिमाचल में भ्रमण कर रहे थे तो वे यहां रुके थे, तब उन्होंने इस चट्टान को स्थापित कर इसकी पूजा-अर्चना की थी. यहां के स्थानीय लोग भी इस विशालकाय पत्थर को भगवान की तरह पूजते हैं. साथ ही माघ की बसंत पंचमी पर खिचड़ी तथा श्रावण मास में खीर के लंगर का आयोजन भी करते हैं.  

मंडी से पांडव शिला की दूरी क्या है

जंजैहली घाटी की मंडी से दूरी लगभग 90 किलोमीटर है. जहां आप निजी वाहन या बस द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं. इसके अलावा आप चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग-21 या फिर पठानकोट-जोगिन्द्रनगर मार्ग द्वारा सुंदरनगर होते हुए भी यहां तक पहुंच सकते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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