Rakshabandhan 2025 tithi : पत्नी भी पति को बांध सकती है राखी? जानिए ज्योतिर्विद से क्या कहता है शास्त्र

पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने का प्रश्न परंपरा, शास्त्र और समाज की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. ऐसे में आइए समझते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से पत्नी का पति को राखी बांधना कितना शास्त्र सम्मत है...

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पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने के बारे में सख्त मनाही है.

Rakshabandhan ritual:  रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. यह मुख्यता भाई एवं बहिन के स्नेह का पर्व है. इस दिन बहन-भाई के हाथ पर राखी बांधती हैं और माथे पर तिलक लगाती हैं, और इस अवसर पर भाई प्रतिज्ञा करता है कि यथाशक्ति मैं अपनी बहिन की रक्षा करूंगा. अब प्रश्न ये है कि क्या कोई पत्नी अपने पति को रक्षाबंधन पर राखी बांध सकती है? पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने का प्रश्न परंपरा, शास्त्र और समाज की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. ऐसे में आइए समझते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से पत्नी का पति को राखी बांधना क्या शास्त्र सम्मत है...

09 अगस्त को मनाया जाएगा रक्षाबंधन, राखी बांधते समय जरूर पढ़ें ये मंत्र, भाई को मिलेगी तरक्की!

राखी का पारंपरिक अर्थ क्या है? 

पंडित अरविंद मिश्र कहते हैं कि राखी या रक्षासूत्र एक ऐसा पवित्र धागा है, जिसे बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है, यह उसकी दीर्घायु, सुरक्षा और समृद्धि की कामना का प्रतीक होता है. यह संबंध भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और रक्षा के वचन पर आधारित होता है.

क्या पत्नी पति को राखी बांध सकती है?

पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने के बारे में सख्त मनाही है. पति-पत्नी का रिश्ता दांपत्य प्रेम, समर्पण और संसर्ग पर आधारित होता है, जबकि राखी का बंधन भाई-बहन के निःस्वार्थ, पवित्र और वात्सल्य पूर्ण रिश्ते का प्रतीक है.

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यदि पत्नी पति को राखी बांधती है, तो यह एक रिश्तों की मर्यादा और सामाजिक परंपरा का उल्लंघन माना जाता है. ज्योतिषीय एवं शास्त्रीय दृष्टि से पति को राखी बांधना उनके बीच के दांपत्य भाव को नष्ट कर सकता है. जिससे वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ सकती हैं.

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ज्योतिषाचार्य अरविंद आगे कहते हैं कि राखी बांधने की प्रक्रिया एक विशिष्ट मंत्र और उद्देश्य से जुड़ी होती है, जो केवल भाई की रक्षा और शुभता के लिए की जाती है, ना कि पति जैसे संबंध के लिए.

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कुछ विशेष परिस्थितियों में व्यक्तिगत जीवन में कुछ महिलाएं प्रतीकात्मक रूप से या भावनात्मक कारणों से पति को राखी बांधती हैं. लेकिन यह शास्त्र सम्मत नहीं माना जाता. यह केवल आधुनिक व्याख्या या व्यक्तिगत भावना हो सकती है, पर धार्मिक दृष्टि से इसका समर्थन नहीं होता.

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यह शास्त्र, समाज और दांपत्य मर्यादा तीनों दृष्टिकोण से अनुचित माना जाता है. यदि आप अपने पति को शुभकामनाएं देना चाहती हैं, तो इसके लिए अन्य वैदिक उपाय, व्रत, पूजा आदि किए जा सकते हैं, जो उनके कल्याण हेतु उचित हैं.

पुराणों एवं शास्त्रों का मत यह है कि  इस विषय में यदि हम पुराणों की बात करें तो, विशेष रूप से "पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने" का उल्लेख किसी भी प्रमुख पुराण जैसे- भगवद्गीता, रामायण,विष्णु पुराण,गरुड़ पुराण, भागवत पुराण, महाभारत (जो कि एक ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथ है) पद्म पुराण, आदि में भी नहीं मिलता है.

भविष्य पुराण में रक्षाबंधन का वर्णन मिलता है, जहां देव-दानव युद्ध के समय इंद्र की पत्नी शचि (इंद्राणी) ने इंद्र को रक्षासूत्र बांधा था, ताकि वे युद्ध में विजयी हों. लेकिन ध्यान दें यह पति-पत्नी के संदर्भ में नहीं, बल्कि युद्ध और सुरक्षा के प्रतीक रूप में किया गया कार्य था.

रक्षासूत्र बांधना और राखी बांधना ये दोनों क्रियाएं अलग संदर्भ में होती हैं. महाभारत में द्रौपदी द्वारा श्रीकृष्ण को राखी (या रक्षासूत्र) बांधने की कथा प्रसिद्ध है, जब उन्होंने सुदर्शन चक्र से अपनी उंगली काट ली थी. यहां भी यह भाई-बहन के समान स्नेह के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है.

पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने का कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं है, और किसी भी पुराण या धर्मग्रंथ में ऐसा उल्लेख नहीं है कि पत्नी को पति को राखी बांधनी चाहिए.

धार्मिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण से हमें सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यदि कोई ऐसा कार्य शास्त्रों में निर्दिष्ट नहीं है, और वह सामाजिक या वैव्यहारिक मर्यादा से टकराता है, तो उस पर विचारपूर्वक और सतर्क होकर चलना चाहिए. 

हिन्दू धर्म में सभी संस्कारों एवं मर्यादाओं और त्योहारों का अपना एक आध्यात्मिक, सामाजिक, व्यवहारिक और वैज्ञानिक महत्त्व है. इसलिए हमें कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे परम्परा एवं मर्यादाएं टूटें और नवीन परंपरा उपजे. हमारे त्योहारों का हमारी भावनाओं से भी गहरा संबंध है.

राखी कब है 2025 में

आपको बता दें कि इस साल राखी 9 अगस्त दिन शनिवार को मनाई जाएगी. इस दिन रक्षासूत्र बांधने का उत्तम समय अभिजीत मुहूर्त, दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. 

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