Karwa Chauth 2023: हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं और कुंवारी लड़कियां होने वाले पति के लिए यह व्रत रखती हैं. करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति का चेहरा देखकर ही व्रत तोड़ा जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat) 1 नवंबर, बुधवार के दिन रखा जा रहा है. इस दिन सुनी जाने वाली कई पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन है कि किस तरह करवा चौथ पर हुई एक गलती के कारण स्त्रियां अपने पति को खो देती हैं और फिर यमराज के मुंह से उसे खींच ले आती हैं. ऐसे में कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखते हुए महिलाओं को व्रत से जुड़ी जरूरी बातों का खास ध्यान रखना चाहिए. अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं तो यहां जानिए आपको किन बातों को खासतौर से ध्यान में रखना चाहिए.
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पहला करवा चौथ का व्रत | First Karwa Chauth Vrat
मेहंदी और सोलह श्रृंगारकरवा चौथ के दिन व्रत के साथ-साथ मेहंदी (Mehendi) लगाने और सोलह श्रृंगार करने का बेहद महत्व है. सुहागिन महिलाओं को इस दिन बिंदी, काजल, चूड़ियां, अंगूठी, मेहंदी, मंगलसूत्र और सिंदूर समेत सभी सोलह श्रृंगार करने के लिए कहा जाता है.
करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इस व्रत को तबतक अधूरा समझा जाता है जबतक कि महिलाएं करवा चौथ की पूजा करके कथा नहीं सुनती हैं.
आजकल फैशन को महत्ता अधिक दी जाने लगी है और रीति-रिवाजों को कम. यदि मान्यतानुसार करवा चौथ के दिन पहनने वाले शुभ रंगों की बात की जाए तो लाल, गुलाबी, हरा, पीला और संतरी रंग के कपड़े पहनना इस दिन बेहद अच्छा माना जाता है. हालांकि, सफेद और काले कपड़ों से परहेज की सलाह दी जाती है.
करवा चौथ के दिन सरगी (Sargi) खाने की परपंरा है. सास इस दिन अपनी बहू को सरगी देती हैं और बहू व्रत शुरू करने से पहले यह सरगी खाती है. सरगी में खासतौर से इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सरगी सूर्योदय होने से पहले ही खा ली जाए. सूर्योदय होने के बाद निर्जला व्रत रखना जरूरी होता है.
व्रत रख रही महिलाओं को वाणी पर संयम और बड़े-बुजुर्गा का सम्मान ध्यान में रखने की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि व्रत में यदि किसी के भी प्रति असम्मान की भावना मन में रखी जाए और गाली-गलौच की जाए तो मनोकामनाएं पूर्ण नहीं होती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)