साल 2025 में इस दिन मनाया जााएगा फुलेरा दूज, यहां जानिए सही तारीख

Significance of Phulera Dooj : मान्यता है इस दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सफलता के द्वार खोलते हैं.

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इस दिन अमृत काल सुबह 4 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रहा है और 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त.

Phulera dooj 2025 date : हर साल फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj 2025) मनाई जाती है. यह त्योहार श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस पर्व की खास रौनक ब्रज में देखने को मिलती है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी पर फूलों की वर्षा की जाती है. मान्यता है इस दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सफलता के द्वार खोलते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं; इस साल फुलेरा दूज कब मनाई जाएगी और इस पर्व का क्या महत्व है.

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फुलेरा दूज कब है 2025 | When is Phulera Dooj 2025

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 01 मार्च को रात 03 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है और समापन 02 मार्च को रात 12 बजकर 09 मिनट पर होगा. हिन्दू धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है. ऐसे में इस साल 01 मार्च को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा. 

फुलेरा दूज शुभ मुहूर्त 2025 | Phulera Dooj auspicious time 2025

  • इस दिन अमृत काल सुबह 4 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रहा है और 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त.
  • ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 07 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.
  • जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक होगा.
  • वहीं, गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक है.

 फुलेरा दूज का महत्व 2025 |  significance of Phulera Dooj

फुलेरा दूज को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण राधा रानी से नहीं मिल रहे थे तो राधा जी उनसे नाराज हो गईं थीं. जिसके कारण मथुरा के सारे फूल मुरझा गए थे. जब कान्हा को यह बात पता चली तो उनसे तुरंत मिलने पहुंच गए. ऐसे में पूरे ब्रज में फिर से फूल खिल उठे. इस मौके पर श्री कृष्ण ने राधा रानी के ऊपर खिले हुए फूल फेंकते हैं. जिसके जवाब में राधा रानी ने भी श्री कृष्ण पर पुष्प वर्षा करती हैं. इसके बाद मथुरा के लोगों ने भी राधा रानी और कृष्ण जी पर फूल बरसाए. मान्यता है इसके बाद से ही फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाने लगा. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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