उत्तराखंड का यह शिव मंदिर है 2500 साल पुराना, खुद भगवान शिव और सप्त ऋषियों ने की थी तपस्या

इस मंदिर की वास्तुकला ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है.  इसके साथ कई पौराणिक तत्व भी मंदिर से जुड़े हुए हैं, जिनके बारे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं...

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यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.

Jageshwar mandir significance : उत्तराखंड जिसे 'देव भूमि' के नाम से भी जाना जाता है, यहां पर कदम-कदम पर छोटे से लेकर बड़े देवी-देवताओं का मंदिर मिल जाएगा. इस शहर में भगवान से लेकर ऋषि मुनियों ने तपस्या की है. देव भूमि में ही चार धाम हैं जिसकी कठिन यात्रा करके हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं. चार धामों के अलावा यहां पर और भी कई मंदिर हैं, जो रहस्यों से भरपूर हैं. जिसमें से एक है जागेश्वर धाम मंदिर. यह मंदिर 2500 साल पुराना है. इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. इस मंदिर की वास्तुकला ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है.  इसके साथ कई पौराणिक तत्व भी इस मंदिर से जुड़े हुए हैं, जिनके बारे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं...

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पौराणिक मान्यता

मान्यता है कि इस जगह पर भगवान शिव और सप्त ऋषियों ने तपस्या शुरू की थी इसके बाद से ही यहां पर शिव लिंग की पूजा करने की शुरुआत हुई. 

Photo Credit: instagram/indiainmylens

124 छोटे मंदिर

 इस मंदिर की वास्तुकला केदारनाथ धाम से काफी हद तक मिलती जुलती है. परिसर के अंदर लगभग 124 छोटे मंदिर हैं, जो भारत की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है. 

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक

यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.  जिसके कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. आपको बता दें कि यह मंदिर जाट गंगा नदी के किनारे स्थित है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा देता है. 

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 आदि शंकराचार्य ने की थी स्थापना 

आपको बता दें कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को लेकर कहा जाता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने बुरी इच्छाओं को पूरा होने से रोकने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की थी.

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पांडव भी आए थे

इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि यहां पर वनवास के दौरान पांडव भी आए थे. जो इसका धार्मिक महत्व और बढ़ा देता है. जागेश्वर धाम में चार मुख्य मंदिर हैं जिन्हें पांडव मंदिर कहा जाता है.  जागेश्वर धाम मुख्य रूप से भगवान शिव, विष्णु, देवी शक्ति और सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है. 

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कैसी है मंदिर की बनावट

इस मंदिर का निर्माण बड़े पत्थर के स्लैब का उपयोग करके किया गया है. दरवाजों के फ्रेम पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र  नक्काशी करके उकेरे गए हैं, जो उस युग की बेहतरीन शिल्पकला को उजागर करते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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