Jageshwar mandir significance : उत्तराखंड जिसे 'देव भूमि' के नाम से भी जाना जाता है, यहां पर कदम-कदम पर छोटे से लेकर बड़े देवी-देवताओं का मंदिर मिल जाएगा. इस शहर में भगवान से लेकर ऋषि मुनियों ने तपस्या की है. देव भूमि में ही चार धाम हैं जिसकी कठिन यात्रा करके हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं. चार धामों के अलावा यहां पर और भी कई मंदिर हैं, जो रहस्यों से भरपूर हैं. जिसमें से एक है जागेश्वर धाम मंदिर. यह मंदिर 2500 साल पुराना है. इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. इस मंदिर की वास्तुकला ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है. इसके साथ कई पौराणिक तत्व भी इस मंदिर से जुड़े हुए हैं, जिनके बारे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं...
Vinayak Chaturthi 2025 : विनायक चतुर्थी पर पढ़ें ये दिव्य मंत्र, भगवान गणेश का मिलेगा आशीर्वाद
पौराणिक मान्यतामान्यता है कि इस जगह पर भगवान शिव और सप्त ऋषियों ने तपस्या शुरू की थी इसके बाद से ही यहां पर शिव लिंग की पूजा करने की शुरुआत हुई.
Photo Credit: instagram/indiainmylens
124 छोटे मंदिरइस मंदिर की वास्तुकला केदारनाथ धाम से काफी हद तक मिलती जुलती है. परिसर के अंदर लगभग 124 छोटे मंदिर हैं, जो भारत की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एकयह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. जिसके कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. आपको बता दें कि यह मंदिर जाट गंगा नदी के किनारे स्थित है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा देता है.
Photo Credit: instagram/indiainmylens
आदि शंकराचार्य ने की थी स्थापनाआपको बता दें कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को लेकर कहा जाता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने बुरी इच्छाओं को पूरा होने से रोकने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की थी.
इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि यहां पर वनवास के दौरान पांडव भी आए थे. जो इसका धार्मिक महत्व और बढ़ा देता है. जागेश्वर धाम में चार मुख्य मंदिर हैं जिन्हें पांडव मंदिर कहा जाता है. जागेश्वर धाम मुख्य रूप से भगवान शिव, विष्णु, देवी शक्ति और सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है.
Photo Credit: Instagram/indiainmylens
कैसी है मंदिर की बनावटइस मंदिर का निर्माण बड़े पत्थर के स्लैब का उपयोग करके किया गया है. दरवाजों के फ्रेम पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र नक्काशी करके उकेरे गए हैं, जो उस युग की बेहतरीन शिल्पकला को उजागर करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)