Jagannath rath yatra 2025: जगन्नाथ मंदिर में है एक सोने का कुआं, इसके पीछे का रहस्य है बहुत रोचक

आपको बता दें कि 15 दिन की सेवा के बाद, भगवानअपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथयात्रा पर निकलते हैं और अपनी मौसी के घर गुंडीचा पहुंचते हैं वहां पर विश्राम करते हैं.

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कहा जाता है मालवा प्रदेश के राजा इंद्रद्युम्न ने कुएं में सोने की ईंटें लगवाईं थीं.

Jagannath rath yatra 2025 : कल यानी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ की 108 कलशों से जलाभिषेक किया गया. इसे जगन्नाथ जी का पूर्णिमा स्नान या फिर स्नान यात्रा कहते हैं. इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ मंदिर के बाहर दर्शन के लिए लाए जाते हैं. इसके बाद उन्हे 108 कलशों से स्नान कराया जाता है. आपको बता दें कि पूरे साल में इस दिन ही जगतनाथ जी को मंदिर परिसर में ही बने सोने के कुएं के पानी से नहलाया जाता है. क्योंकि इस कुएं में सभी तीर्थों से आए जल शामिल हैं. 

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कैसा है ये सोने का कुआं

यह कुआँ मंदिर के प्रांगण में ही देवी शीतला और उनके वाहन सिंह की मूर्ति के ठीक बीच में बना है, जो 4 से 5 फीट चौड़ा वर्गाकार है. कहा जाता है कि इसमें नीचे की तरफ दीवारों पर मालवा प्रदेश के राजा इंद्रद्युम्न ने सोने की ईंटें लगवाईं.

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सीमेंट-लोहे से बना इसका ढक्कन करीब डेढ़ से दो टन का है, जिसे 12 से 15 सेवक मिलकर उठाते हैं. ढक्कन में एक छेद है, जिसमें से श्रद्धालु सोने की वस्तुएं डालते हैं.

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क्यों पड़ जाते हैं भगवान जगन्नाथ बीमार

आपको बता दें कि पूर्णिमा स्नान के बाद भगवान अगले 15 दिन के लिए बीमार पड़ जाते हैं. इस दौरान भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनका उपचार चल रहा होता है. दरअसल, भगवान जगन्नाथ को स्नान पूर्णिमा के बाद सर्दी लगने की मान्यता है. जिसके कारण उनकी 15 दिन विशेष सेवा की जाती है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की एक बालक की तरह देख-रेख की जाती है.  उन्हें देसी जड़ी-बूटियों से बना काढ़ा पिलाया जाता है और भोजन में मौसमी फल और परवल का रस अर्पित किया जाता है.

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फिर 15 दिन की सेवा के बाद, भगवानअपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथयात्रा पर निकलते हैं और अपनी मौसी के घर गुंडीचा पहुंचते हैं वहां पर विश्राम करते हैं. इस साल यह यात्रा 27 जून से शुरू होने वाली है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से शामिल होंगे. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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