Diya Niyam: पूजा-पाठ में दीया जरूर जलाया जाता है. पूजा में दीया जलाना बेहद शुभ होता है और दीया जलाने से कई तरह की विशेष मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि सही तरह से दीया जलाया जाए तो पूजा का फल भी मिलता है और भगवान की पूरी कृपा भी भक्तों को प्राप्त होती है. लेकिन, बहुत भक्त दीया (Diya) जलाने से जुड़ी कई बातों से अनजान होते हैं. ऐसे में सही तरह से दीया ना जलाने पर पूजा का फल नहीं मिलता है और भगवान क्रोधित भी हो सकते हैं. यहां जानिए दीया जलाने का सही तरीका, सही समय और सही दिशा (Direction) समेत कुछ बातों के बारे में.
दीया जलाने से जुड़े नियम | Diya Lightening Rules
किस दिशा में रखें दीयामाना जाता है कि दीया जलाने की दिशा विशेष महत्व रखती है. मंदिर के पास हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके दीया जलाने के लिए कहा जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने पर दीपक का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
आमतौर पर पूजा के समय मंदिर में तेल या घी के दीये जलाए जाते हैं परंतु घी और तेल के दीये को रखने का तरीका अलग-अलग होता है. मान्यतानुसार, दीया अगर घी का हो तो उसे भगवान के दाहिने हाथ की तरफ रखना शुभ होता है और यदि दीया तेल का है तो उसे भगवान के बाएं हाथ की ओर रखा जाता है.
दीये पर किस तरह की और किस तरह से बाती लगाई जा रही है इसका भी विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि घी के दीये में फूल बाती लगानी चाहिए और वहीं अगर दीया तेल का हो तो उसमें लंबी खड़ी बाती लगाई जाती है. दीपक की बाती को कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके नहीं रखा जाता है, यह दिशा अच्छी नहीं मानी जाती है.
मंदिर में जिस दीये को जलाया जा रहा है वह बिल्कुल ठीक होना चाहिए और कहीं से भी टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए. खंडित दीया (Broken Diya) शुभ नहीं माना जाता है. खंडित दीपक जलाने पर माना जाता है कि भगवान नाराज हो सकते हैं और इस दीये का शुभ फल भी नहीं मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)