Happy Dhanteras 2021: धनतेरस पर आज बन रहा है त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग

Dhanteras 2021: साल 2021 में धनतेरस (Dhanteras) का पर्व 2 नवंबर, मंगलवार यानि आज मनाया जा रहा है. हर साल धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. आज के दिन से ही पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार की शुरुआत होती है. इस वर्ष धनतेरस पर शुभ त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है.

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नई दिल्ली:

सनातन धर्म में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व (Dhanteras 2021) मनाया जाता है. इस साल धनतेरस आज (मंगलवार) यानि 2 नवंबर, 2021 को है, जो मंगलवार सुबह 8:35 से 3 नवंबर को सुबह 7:14 बजे तक रहेगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसलिए इसे धनतेरस कहा जाता है. आज के दिन से ही पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार की शुरुआत होती है. वहीं, यमराज को दीपदान के लिए सायंकाल व्याप्त त्रयोदशी की प्रधानता मानी जाती है. इस वर्ष मंगलवार शाम त्रयोदशी तिथि मिलने के कारण दो नवंबर को ही धनतेरस मनाया जा रहा है. इस साल धनतेरस (Dhanteras) पर शुभ त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, जो काफी शुभकारी माना जाता है.

बता दें कि आज के दिन सोना-चांदी, स्टील, फूल, पीतल के बर्तन की खरीदारी करना शुभ माना गया है. माना जाता है कि आज के दिन संध्या के समय घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर एक पात्र में अन्न रखकर उस पर यमराज के निमित्त दक्षिणाभिमुख दीपदान करना चाहिए. वहीं, धनतेरस के दिन यमुना नदी में स्नान का भी विशेष महात्म्य है.

Dhanteras 2021 Images :  त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग

त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग

धनतेरस के दिन विशेष नक्षत्रों और कालखंड के संयोग से त्रिपुष्कर योग बन रहा है, जिसे काफी शुभकारी माना जाता है. माना जाता है कि इस योग में जो भी काफी शुरू किया जाये, उसका तिगुना फल मिलता है. वहीं, आज धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग के अलावा अमृत योग भी बन रहा है. अमृत योग नई चीजों की खरीदारी के लिए उत्तम माना गया है. यह योग धनतेरस के दिन सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा.

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धनवंतरि की आराधना का महान पर्व

कहा जाता है कि आरोग्य की प्राप्ति के लिए आज के दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन करना चाहिए. बता दें कि सनातन धर्म में धन्वंतरि को आयुर्वेद का प्रवर्तक और देवताओं का वैद्य माना जाता है. मान्यता के अनुसार, पृथ्वी लोक में इनका अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था. शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरि, चतुर्दशी को काली माता, अमावस्या को भगवती लक्ष्मी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था. इस कारण दीपावली के दो दिन पूर्व त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि का जन्मदिवस मनाया जाता है. भगवान धनवंतरि हर प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाते हैं.

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