Dhanteras 2023: दीपावली की रौनक चारों तरफ नजर आने लगी है. इस बार रोशनी का ये त्योहार 12 नवंबर को मनाया जाएगा, लेकिन उससे पहले 10 नवंबर को धनतेरस (Dhanteras) का पावन पर्व मनाया जाएगा. इस दिन ना सिर्फ सोना, (Gold) चांदी और धातु खरीदने का महत्व होता है, बल्कि धनतेरस के दिन यम का दीपक (Yam Deepak) भी जलाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धनतेरस के दिन ही यम का दीपक क्यों जलाना चाहिए और इससे क्या फायदे हमें मिलते हैं? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं यम का दीपक जलाने का महत्व (Importance Of Lightning Yam Ka Deepak) और इसके पीछे की वजह.
क्यों जलाया जाता है धनतेरस पर यम का दिया (Why is Yama's lamp lit on Dhanteras?)
धनतेरस के दिन सबसे पहले शाम को मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है. इसके बाद यमराज की पूजा भी विधि विधान से होती है. इस दौरान शाम के समय दक्षिण दिशा में एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है. इसे ही यम का दीपक कहते हैं. घर की महिलाएं इस दीये को दक्षिण दिशा में रखती हैं और यमराज से घर की कुशलता की प्रार्थना करती हैं. मान्यताओं के अनुसार, इस दिशा के स्वामी यम है और अगर इस दिशा में यम के नाम का दीया जलाया जाता है तो घर में सुख, शांति बनी रहती है और घर के सदस्य आरोग्य रहते हैं.
स्कंदपुराण में है धनतेरस के श्लोक का वर्णन
हिंदू धर्म में स्कंदपुराण का विशेष महत्व होता है, इसमें भी धनतेरस को लेकर एक श्लोक का वर्णन किया गया है. जो इस प्रकार है- 'कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे. यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति'. इस श्लोक का मतलब होता है कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शाम के समय घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीपक रखकर अकाल मृत्यु का निवारण होता है. इतना ही नहीं पद्मपुराण के अनुसार, 'कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके. यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति' यानी कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को घर के बाहर यमराज के लिए दीपक जलाने से मृत्यु का नाश होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)