Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है. 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च तक नवरात्रि के नौ दिन पूजा-पाठ किए जाएंगे जिनमें 31 मार्च के दिन दशमी मनाई जाएगी. नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा (Ma Chandraghanta) को समर्पित है. इस दिन पूरे विधि-विधान से मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. 24 मार्च के दिन किस तरह मां चंद्रघंटा की पूजा की जाए, किस रंग के कपड़े पहनना माना जाता है शुभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें जाने यहां.
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा | Ma Chandraghanta Puja On Navratri Third Day
मां चंद्रघंटा को मान्यतानुसार बेहत शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है. कहते हैं जो भक्त मां चंद्रघंटा का पूजन करते हैं उन्हें आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और उनपर मां चंद्रघंटा की विशेष कृपा बरसती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां चंद्रघंटा ने राक्षसों का संहार करने के लिए अवतार लिया था और उनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां हैं. मां चंद्रघंटा का स्वरूप हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा व धनुष धारण किए है. देवी मां के माथे पर अर्द्ध चंद्र विराजमान है जिस चलते उन्हें अपना नाम चंद्रघंटा (Chandraghanta) नाम मिला है. राक्षसों का विनाश करने वाली मां चंद्रघंटा भक्तों के लिए शांत और सौम्य व्यक्तित्व की हैं.
मान्यतानुसार नवरात्रि के तृतीय दिन (Navratri Third Day) मां चंद्रघंटा की पूजा-आराधना करने के लिए सुबह निवृत्त होकर स्नान किया जाता है. स्नान पश्चात स्वच्छ कपड़े पहने जाते हैं. भूरे, सफेद व स्वर्ण रंग को मां चंद्रघंटा का प्रिय माना जाता है जिस चलते देवी मां की पूजा के दिन इन रंगों के कपड़े पहने जा सकते हैं.
इसके पश्चात मां चंद्रघंटा की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाया जाता है और माता रानी की आरती कर उन्हें अक्षत, सिंदूर, पुष्प और भोग आदि लगाते हैं.
भोग में मां चंद्रघंटा की प्रिय चीजें लगाई जा सकती हैं. इनमें केसर और दूध से तैयार की गईं मिठाइयां और फल आदि शामिल हैं. दूध से बने अन्य मिष्ठान भी मां चंद्रघंटा को चढ़ाए जा सकते हैं और इस भोग (Bhog) को ही प्रसाद स्वरूप खाया जाता है. भोग में शहद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)