Bhagwad gita shlok and their meaning : हिन्दू धर्म के महान ग्रंथों में से एक भगवद् गीता है. इसमें श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत के दौरान दिए उपदेशों का विस्तार से उल्लेख किया गया है. गीता को जो भी एक बार पढ़ और समझ लेता है उसे जीवन का सार समझ आ जाता है. इस ग्रंथ में हर समस्या का हल आपको मिल जाएगा. गीता में भगवान की भक्ति कैसे करें और उनको कैसे प्राप्त करें, इसके बारे में भी बताया गया है. साथ ही कौन से 4 लोग भगवान की भक्ति कर पाते हैं, इस बारे में भी भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया है.
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ऐसे में आइए जानते हैं उन लोगों के बारे में, जो भगवान की भक्ति कर सच्चे मन से कर पाते हैं...
कौन लोग करते हैं भगवान की भक्ति - Who can worship God?
गीता में भगवान कृष्ण ने '' चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोअर्जुन। आर्तो जिज्ञासुरर्थाथी ज्ञानी च भरतर्षभ।।''
श्लोक के जरिए श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि चार तरह के लोग उनकी भक्ति में हमेशा लगे रहते हैं, दुखी, जिज्ञासु, संपत्ति चाहने वाले और ज्ञानी. ये लोग हमेशा भक्ति की तरफ आकर्षित होते हैं. इसके पीछे की वजह ये है...
दुखी
दुखी लोग, इसलिए भगवान की शरण में आते हैं क्योंकि वो हर तरफ से हार चुके होते हैं. उनके मेरे पास आने के अलावा दूसर कोई रास्ता नहीं बचता. यही कारण है वो मेरी भक्ति करते हैं.
जिज्ञासु
जिज्ञासु लोग, भगवान की शरण में इसलिए आते हैं, क्योंकि उन्हें संसार से जुड़े रहस्य जानने होते हैं. इसलिए ये लोग अध्यात्म की राह पर निकल पड़ते हैं.
धन चाहने वाले
वहीं, जो लोग संपत्ति और भौतिक सुख चाहते हैं, वो भी भगवान की शरण में आते हैं.
ज्ञानी
अंत में आते हैं ज्ञानी, ये लोग बिना किसी स्वार्थ के भगवान की शरण में आते हैं. क्योंकि ये मोह माया से मुक्त हो चुके होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)