दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) को कड़ी फटकार लगाई है. साथ ही MCD को भंग करने तक की बात कह दी है. हाई कोर्ट में एक मां-बेटे की मौत के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. 31 जुलाई को भारी बरसात के दौरान दिल्ली के मयूर विहार फेज 3 इलाके में एक नाले में गिरकर मां-बेटे की मौत हो गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान MCD और उसके अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई और कहा, "यह उचित मामला है, जहां हाईकोर्ट को सरकार से MCD को भंग करने के लिए कहना चाहिए". दिल्ली हाईकोर्ट ने गंदे और बिना बैरिकेडिंग के नाले में महिला और उसके बच्चे के गिरने से मौत के मामले में कहा कि यह स्थिति चौंकाने वाली है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि जब MCD के अधिकारी एक साल से ज्यादा समय से नाले की सफाई और बैरिकेडिंग करवाने में विफल रहे हैं, तो वे अभी भी नौकरी पर क्यों हैं?
MCD के साथ DDA और दिल्ली पुलिस से भी नाराज
जस्टिस मनमोहन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या लोग वहां पानी पर चलेंगे? सिर्फ MCD के अधिकारियों को ही यह सौभाग्य प्राप्त हो सकता है कि वे पानी पर चल सकते हैं.
सुनवाई के दौरान अदालत MCD के साथ ही DDA और दिल्ली पुलिस से भी नाराज नजर आई. अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का मामला दर्ज करना चाहिए. अदालत ने यहां तक कह दिया कि अगर आप अपने अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो हम उन्हें निलंबित करना शुरू कर देंगे.
यहां पर भाईचारा नहीं होना चाहिए : अदालत
कोर्ट ने MCD के वकील से कहा कि आपके अधिकारी मधुमक्खी की तरह उड़ते हैं और तितली की तरह डंक मारते हैं. आपके पास अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है? यहां भाईचारा नहीं होना चाहिए, अगर वे काम नहीं कर रहे हैं, तो आपको उन्हें फटकारना होगा... क्या हम आपके मामले को खारिज नहीं कर देते? यह हमारा काम है.
कोर्ट ने कहा कि आपके अधिकारी बहुत ही घटिया किस्म के हैं और कोई कार्रवाई नहीं कर सकते. दिल्ली में हालात बहुत चौंकाने वाले हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि हमारे शहर में डेंगू और चिकनगुनिया है. अगर हमारे शहर में ये बीमारियां न हों तो आश्चर्य होगा. कोर्ट ने ये भी कहा कि यह तथ्य है कि सड़क का यह हिस्सा बिना बैरिकेड के है और कई सालों से साफ नहीं किया गया है, यह चौंकाने वाली स्थिति है.
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी और MCD के डिप्टी कमिश्नर को कोर्ट में मौजूद रहने को कहा तो दोनों कोर्ट में पेश हुए.
MCD एक आरामदायक क्लब बन गया है : हाई कोर्ट
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि इस मामले में नगर निगम अधिकारियों द्वारा आपराधिक लापरवाही बरती गई है और उन पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि MCD एक आरामदायक क्लब बन गया है, जहां आप जाते हैं, एक कप चाय पीते हैं और वापस आ जाते हैं.
कोर्ट में मौजूद डिप्टी कमिश्नर की ओर इशारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि अगर यह आदमी दफ्तर नहीं आता है तो इससे जमीनी हालात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मुझे लगता है कि यह एक उचित मामला है, जहां मैं सरकार को सुझाव दूंगा कि MCD को भंग करने की जरूरत है. दिल्ली में चीजें ऐसे ही चल रही हैं? कैबिनेट मीटिंग के लिए कोई तारीख नहीं है, स्टैंडिंग कमेटी मीटिंग के लिए कोई तारीख नहीं है, अगर कैबिनेट और स्टैंडिंग कमेटी मीटिंग नहीं हो रही है तो बजट कैसे स्वीकृत होगा? यह ऐसा है जैसे हम कोर्ट में बैठे बिना ही मामलों का फैसला कर दें.
10 दिन में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा
MCD डिप्टी कमिश्नर ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि नाले और इलाके की सफाई की जाएगी और गंदगी हटाई जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि नाले तक पहुंचने के रास्ते पर बैरिकेडिंग की जाएगी.
आखिर में कोर्ट ने MCD को अपने कार्यक्षेत्र को साफ करने और बैरिकेड्स लगाने का आदेश दिया ताकि खुले नाले दुर्गम हो जाएं. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और MCD को 10 दिनों के भीतर मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि वह इस बात पर फैसला नहीं करेगी कि जिस जगह पर मौतें हुईं वह किसके अधिकार क्षेत्र में आता है, क्योंकि यह जांच करना दिल्ली पुलिस का काम है.
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