डूबेगी दिल्ली! यमुना खतरे के निशान के पार, घर डूबे; रिहायशी इलाकों में घुसा पानी, राहत कैंप एक्टिव

यमुना नदी के जलस्तर के मंगलवार शाम तक 206 मीटर के निकासी स्तर तक पहुंचने की आशंका है. खतरे को देखते हुए अधिकारियों ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने की सलाह दी है.

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दिल्ली में यमुना ने खतरे के निशान को किया पार.
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  • हथिनी कुंड बैराज से सोमवार सुबह पानी छोड़ा गया, जिससे दिल्ली में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.
  • यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर जाकर 206 मीटर तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.
  • यमुना के किनारे रहने वाले लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में पलायन शुरू कर चुके हैं.प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है.
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नई दिल्ली:

दिल्ली में इस वक्त सबसे बड़ी चिंता का विषय यमुना का बढ़ता (Delhi Flood Alert) जलस्तर है. हथिनी कुंड बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी ने राजधानी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. सोमवार सुबह बैराज से करीब 3 लाख 29 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि इसका असर सीधे दिल्ली पर पड़ेगा. जानकारों के अनुसार यमुना का जलस्तर अब खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर बढ़कर 205.68 मीटर तक पहुंच गया है. सुबह-सुबह ही नदी का पानी यहां की रिहायशी गलियों तक घुस गया है. कई घरों के निचले हिस्से डूब चुके हैं और सड़कें पूरी तरह जलमग्न नज़र आ रही हैं. प्रशासन ने कल शाम 5 बजे पुराना यमुना पुल बंद कर दिया था और अब आसपास के इलाकों में राहत कैंप सक्रिय कर दिए गए हैं.

आपको याद दिला दें, पिछले साल 2023 में यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था और तब भी कई इलाकों में घरों तक 8-8 फुट पानी भर गया था.

आगरा में भी यमुना अपना रौद्र रूप दिखा रही है. नदी जलस्तर अलर्ट लेवल से ऊपर पहुंच गया है. घाट से लेकर श्मशान तक सब जलमग्न हो गया है. ताजगंज श्मशान घाट पर मोक्ष धाम स्थल जलमग्न हो गया है. आगरा प्रशासन अलर्ट पर है. बाढ़ चौकियां बना दी गई हैं. यमुना किनारे रहने वाले लोगों को दूर रहने की हिदायत दी गई है.

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हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा पानी, मचेगा हाहाकार!

सोमवार को ही हथिनी कुंड से 3 लाख 29 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो अगले 48 घंटों में दिल्ली पहुंचने वाला है. इसी डर से यमुना किनारे रहने वाले लोग अब सुरक्षित जगह की तलाश में पलायन शुरू कर चुके हैं. तिब्बतन कॉलोनी के पास शिव शंकर शर्मा का परिवार वर्षों से यमुना तट पर रह रहा है. बाढ़ की आशंका के बाद शर्मा जी ने अपने परिवार और सामान को सुरक्षित स्थान पर ले जाना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि हर साल पानी का खतरा उन्हें तट छोड़ने पर मजबूर कर देता है.

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यमुना किनारे रहने वाले सावधान

रात के समय यमुना अपेक्षाकृत शांत दिखाई दी. लेकिन जैसे ही हथिनी कुंड से छोड़ा गया पानी दिल्ली पहुंचेगा, हालात तेजी से बदल सकते हैं.लोगों के चेहरे पर डर साफ दिखाई देता है, और प्रशासन ने भी अलर्ट जारी कर दिया है. कुल मिलाकर खतरे की घड़ी आ चुकी है. यमुना किनारे रहने वाले लोगों से प्रशासन के निर्देशों का पालन करने और सुरक्षित स्थानों पर समय रहते पहुंचने अपील की गई है.

घर छोड़ने को मजबूर लोग

यमुना में बाढ़ के खतरे को देखते हुए लोगों ने रात में ही अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचना शुरू कर दिया था. दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण सोमवार को यमुना नदी का जलस्तर बढ़ गया. इस वजह से हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज के गेट खोलने पड़े. अधिकारियों के अनुसार हथिनीकुंड से 3.29 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो इस मानसून में अब तक का सबसे ज्यादा है.

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मंगलवार शाम तक पानी मचाएगा हाहाकार!

यमुना नदी के जलस्तर के मंगलवार शाम तक 206 मीटर के निकासी स्तर तक पहुंचने की आशंका है. खतरे को देखते हुए अधिकारियों ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने की सलाह दी है. दिल्ली के छह जिलों में करीब 15,000 लोग निचले इलाकों में रहते हैं, जिनमें से लगभग 5,000 लोग यमुना के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बसे हुए हैं.

बाढ़ के खतरे को देखते हुए लोगों में चिंता बढ़ रही है. कई लोगों का कहना है कि ये बार-बार आने वाला मॉनसून संकट बन गया है.हर साल लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने की चेतावनियां जारी की जाती हैं, इसके साथ ही लोगों का आरोप है कि ज़मीनी स्तर पर राहत और मदद अक्सर देर से पहुंचती है.

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आफत की बारिश अभी नहीं थमेगी

मौसम विभाग ने सितंबर में सक्रिय मानसून का पूर्वानुमान जताया है. साथ ही ये भी आशंका जताई है कि कई इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है. राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया था. सुबह से ही रुक-रुक कर बारिश हुई. मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1 जून से 31 अगस्त के बीच 743.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो लंबे समय के औसत 700.7 मिलीमीटर से करीब छह फीसदी ज्यादा है.

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