लाख, दो लाख या.. जेएनयू छात्रसंघ के चुनाव का बजट क्या आपको पता है, जानकर हो जाएंगे दंग!

JNU के पूर्व संयुक्त सचिव शुभांशु सिंह कहते हैं कि जवाहर लाल नेहरू छात्रसंघ अब पूरी तरह छात्रों के चंदे से चलता है. बस जब चुनाव आता है तब छात्रसंघ को फंड दिया जाता है, उसके अलावा कोई फंड नहीं होता है.

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JNU छात्रसंघ चुनाव का बजट जानें.
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  • JNUSU का फंड महज 1 लाख 20 हजार होता है. ये पैसा 2018 तक छात्रों की फीस से दो रुपए फिर पांच रुपए लिया जाता था.
  • 2018 के बाद इस नियम को भी बदल दिया गया और कहा गया कि अब फीस से कोई कटौती नहीं होगी.
  • JNU छात्रसंघ को छात्र संघ का चुनाव कराने के लिए महज एक लाख रुपए के आसपास की रकम मिलती है.
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नई दिल्ली:

JNU छात्रसंघ चुनाव की चर्चा पूरे देश भर में होती है. इस चुनाव के प्रेसिडेंशियल स्पीच में विदेश नीति से लेकर स्थानीय राजनीतिक तक की खूब चर्चा होती है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि कि JNUSU का फंड महज 1 लाख 20 हजार ही होता है. ये पैसा भी 2018 तक छात्रों की फीस से पहले दो रुपए फिर पांच रुपए लिया जाता था, लेकिन 2018 के बाद इस नियम को भी बदल दिया गया और कहा गया कि अगर छात्र वालंटियर देना चाहे तो दे सकते हैं लेकिन फीस से नहीं लिया जा सकता. 

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कहां से आता है JNU छात्रसंघ चुनाव के लिए पैसा?

उसके बाद JNU छात्रसंघ के प्रेसिडेंट किसी भी खर्चे के लिए पूरी तरह चंदे पर निर्भर हो गए. हालांकि जेएनयू छात्रसंघ को अब भी केवल छात्र संघ का चुनाव कराने के लिए बैलेट पेपर और दूसरे खर्चों के लिए महज एक लाख रुपए के आसपास की रकम मिलती है. यानी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के पास फिलहाल कोई बजट नहीं है. JNU के पूर्व संयुक्त सचिव शुभांशु सिंह कहते हैं कि जवाहर लाल नेहरू छात्रसंघ अब पूरी तरह छात्रों के चंदे से चलता है. बस जब चुनाव आता है तब छात्रसंघ को फंड दिया जाता है, उसके अलावा कोई फंड नहीं होता है.

वक्त के साथ घट रही है जेएनयू छात्रसंघ की ताकत

जवाहर लाल नेहरू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष के पास पहले सबसे बड़ी ताकत विश्वविद्यालय की उच्चस्तरीय अकादमिक कमेटी में शामिल होना था. इसी कमेटी में यूनिवर्सिटी और सिलेबस से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय होते थे. लेकिन अब एकेडमिक कमेटी की बैठक में शामिल होने की शक्ति भी वापस ले ली गई है. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडेय कहते हैं कि अकादमिक कमेटी की बैठक में जेएनयू प्रेसिडेंट के तौर पर जब उन्होंने हिस्सा लिया था तब मौखिक परीक्षा में अंकों को कम करने का प्रस्ताव आया था. लेकिन इस निर्णय का प्रेसिडेंट के तौर पर विरोध किया गया था तो ये प्रस्ताव वापस लेना पड़ा. लेकिन बाद में एकेडमिक काउंसिल की बैठक में प्रेसिडेंट के तौर पर हिस्सा लेने पर रोक लग गई, जिससे छात्रसंघ की ताकत घटी. 

EVM से नहीं बैलेट पेपर से होता है JNU छात्रसंघ का चुनाव 

JNU छात्रसंघ चुनाव अब भी बैलेट पेपर से होता है, जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव EVM मशीन से होता है. यही वजह है कि JNU की मतगणना में दस से बारह घंटे का वक्त लग जाता है. मतगणना के दौरान कैंपस में छात्रों का अलग ही रंग देखने को मिलता है, जहां सभी छात्र संगठन अपनी-अपनी पार्टियों का नारा लगाते हुए दिखाई पड़ते हैं. हालांकि चुनावी माहौल गर्म रहता है, लेकिन उग्रता कभी नहीं देखी गई. जेएनयू में हर साल करीब साढ़े सात हजार मतदाता होते हैं, उनमें पांच से छह हजार अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं. JNU के चुनाव केवल छात्र संघ के लिए ही नहीं बल्कि अलग-अलग स्कूलों में अपने प्रतिनिध बनाने के लिए भी वोट डाले जाते हैं. लेकिन उत्सुकता सभी को JNU छात्रसंघ के चार सेंट्रल पैनल पर ही होती है. JNU से पढ़े लोग इस वक्त भारतीय राजनीति में भी ताकतवर भूमिका में हैं. एस जयशंकर निर्मला सीतारमण सीता राम येचुरी जैसे नेता जेएनयू की ही देन हैं. 
 

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