- दिल्ली-NCR में वाहनों का धुआं PM2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनॉक्साइड प्रदूषण का मुख्य स्रोत है.
- CAQM ने वाहन उत्सर्जन नियंत्रण के लिए IIT मद्रास के प्रो. की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी बनाई है.
- कमेटी में AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ. गुलेरिया समेत IIT दिल्ली, NITI Aayog, ARAI और TERI के विशेषज्ञ शामिल हैं.
दिल्ली-NCR में हवा की सेहत लगातार बिगाड़ने वाले बड़े कारणों में वाहनों का धुआं सबसे ऊपर है. PM2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), कार्बन मोनॉक्साइड (CO) और VOC जैसे प्रदूषकों का स्तर यहीं से काफी बढ़ जाता है, जिसका सीधा असर लोगों की सांसों और फेफड़ों पर पड़ता है. इसी गंभीर चुनौती को ध्यान में रखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने एक उच्च-स्तरीय एक्सपर्ट कमेटी गठित की है, जो वाहन उत्सर्जन नियंत्रण के लिए ठोस रोडमैप तैयार करेगी.
कमेटी में कौन-कौन शामिल?
कमेटी की अध्यक्षता IIT मद्रास के प्रो. अशोक झुनझुनवाला करेंगे, जबकि AIIMS दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सह-अध्यक्ष होंगे. IIT दिल्ली, IIT कानपुर, NITI Aayog, ARAI, ICAT, CSE, TERI और अन्य प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञ इसमें शामिल किए गए हैं.
कमेटी क्या करेगी?
CAQM के मुताबिक, यह एक्सपर्ट कमेटी अगले दो महीनों में एक व्यापक रिपोर्ट सौंपेगी. इसके मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- क्लीन मोबिलिटी से जुड़े मौजूदा नियमों व नीतियों की समीक्षा, जैसे BS नॉर्म्स, EV नीतियाँ व फ्यूल-एफिशिएंसी मानक.
- कौन-सा वाहन वर्ग कितना प्रदूषण फैलाता है, इसका वैज्ञानिक आकलन कर उत्सर्जन कम करने के लिए नियामक सुझाव देना.
- इलेक्ट्रिक वाहन परिवर्तन की गति तेज करने के उपाय, जिसमें तकनीकी क्षमता, इंफ्रास्ट्रक्चर ज़रूरतें, लागत और प्रोत्साहन योजनाओं का अध्ययन शामिल होगा.
- ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त नीति सुझाव, ताकि वाहन क्षेत्र से होने वाले प्रदूषण को सिस्टमैटिक तरीके से कम किया जा सके.
15 दिसंबर को पहली बैठक, स्टेकहोल्डर से भी लिए जाएंगे सुझाव
कमेटी 15 दिसंबर 2025 को अपनी पहली बैठक करेगी. CAQM ने कहा है कि कमेटी आवश्यकता अनुसार अन्य विशेषज्ञों को भी साथ जोड़ सकती है और चाहें तो अंतरिम सिफारिशें भी जमा कर सकती है.
क्यों जरूरी है यह कदम?
दिल्ली-NCR में प्रदूषण कंट्रोल पर कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन वाहनों से होने वाला उत्सर्जन अभी भी सबसे चुनौतीपूर्ण स्रोतों में गिना जाता है विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यहां वैज्ञानिक, तकनीकी और नीति-स्तर पर एक साथ काम किया जाए, तो हवा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार संभव है. CAQM का दावा है कि यह नई कमेटी एविडेंस-बेस्ड नीति-निर्माण को आगे बढ़ाएगी, जिससे लंबे समय में दिल्ली-NCR की हवा और सार्वजनिक स्वास्थ्य-दोनों को राहत मिल सकेगी.













