दिल्ली रिज वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में नया पेंच सामने आया है. दरअसल, मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करे, इस पर विवाद हुआ.जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को CJI डी वाई चंद्रचूड़ के पास भेजा. अब CJI तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई कौन सी बेंच करे.
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाषिश पांडा के खिलाफ स्वत: संज्ञान अवमानना मामले की सुनवाई कर रही है. लेकिन अब जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की पीठ ने बुधवार को इस बात पर नाराज़गी जताई कि दिल्ली विकास प्राधिकरण(डीडीए) द्वारा दिल्ली रिज वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई दूसरी पीठ द्वारा की जा रही है. पीठ ने कहा कि हम न्यायिक औचित्य का पालन कर रहे हैं, हालांकि दूसरी पीठ ने ऐसा नहीं किया.
डीडीए कठघरे में है
अवमानना मामले में कार्रवाई के समान कारण के लिए आदर्श रूप से मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया जाना चाहिए था. इस मामले में हमने पहले नोटिस जारी किया था. पीठ ने अपने समक्ष कार्रवाई को रोकते हुए मामले को CJI के पास भेज दिया. दरअसल दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों को प्राधिकरण द्वारा न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए काटे जाने के बाद डीडीए कठघरे में है.
उपराज्यपाल की भूमिका छिपाई जा रही
इस पीठ ने पेड़ों को काटने में दिल्ली के उपराज्यपाल(एलजी) की भूमिका को छिपाने के प्रयास पर कड़ी आपत्ति जताई थी. पीठ ने डीडीए से इस बारे में स्पष्टीकरण भी मांगा था कि क्या उसने एलजी के निर्देशों के आधार पर पेड़ों को काटा था या यह निर्णय स्वतंत्र रूप से लिया गया था.
इस मामले में पीठ ने दिल्ली सरकार की भूमिका पर भी आपत्ति जताई थी. जस्टिस ओक की पीठ ने पेड़ काटने वाले ठेकेदार को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि किसके आदेशों पर पेड़ काटे गए.