मकसद एक, तरीका अलग... अवैध धर्मांतरण के छांगुर गैंग और आगरा रैकेट में क्या-क्या समानता?

अवैध धर्मांतरण के छांगुर बाबा गैंग और अब सामने आए आगरा नेटवर्क के बीच कई तरह की समानताएं देखने को मिल रही हैं. इन दोनों मामलों की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, बड़े और भयानक सच सामने आ रहे हैं.

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  • छांगुर गैंग के बाद अब आगरा पुलिस ने अवैध धर्मांतरण के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है और छह राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया है.
  • छांगुर गैंग और आगरा रैकेट दोनों ही पाकिस्तानी एजेंसियों और पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े हैं. दोनों को ही विदेशों से फंडिंग मिल रही थी.
  • दोनों गैंग के लोग कमजोर वर्गों खासकर नाबालिग, गरीब लड़कियों को निशाना बनाते थे. प्रेमजाल में फंसाकर, लालच के जरिए धर्म परिवर्तन करवाते थे.
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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में छांगुर के अवैध धर्मांतरण रैकेट की परतें पूरी तरह खुल भी नहीं पाईं कि लव जिहाद के नाम पर धर्म परिवर्तन कराने के एक और बड़े संगठित नेटवर्क का पुलिस ने पर्दाफाश करने का दावा किया है. आगरा पुलिस ने इस नए मामले में छह राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. छांगुर और इस नए गैंग में कई समानताएं देखने को मिल रही हैं. इन दोनों मामलों की परतें जैसे-जैसे खुल रही हैं, बड़े और भयानक सच सामने आ रहे हैं.

छांगुर गैंग: विदेशी फंडिंग, PAK कनेक्शन 

यूपी एटीएस छांगुर उर्फ जलालुद्दीन के गैंग से जुड़े सात लोगों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है. पहले छांगुर, उसकी करीबी नीतू समेत चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसके बाद राशिद शाह की गिरफ्तारी हुई. पूछताछ में मिले सुरागों के आधार पर शहाबुद्दीन और सोहराब शाह को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. सोहराब छांगुर का भतीजा है. अब तक की जांच से पता चला है कि छांगुर गैंग पाकिस्तानी एजेंसियों के संपर्क में था. इसके प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और अन्य संगठनों से भी इसके तार जुड़े थे. इस गैंग को दुबई, लंदन और अन्य देशों से भारी फंडिंग मिल रही थी. अब तक 100 करोड़ से ज्यादा फंडिंग के दस्तावेज मिल चुके हैं.

आगरा रैकेट: छह राज्यों, विदेशों से लिंक

दूसरा मामला आगरा का है, जहां 33 और 18 साल की दो सगी बहनों की गुमशुदगी की तलाश ने पुलिस को एक और बड़े धर्मांतरण रैकेट तक पहुंचा दिया. पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि छांगुर की तरह ही एक और गैंग है, जो नाबालिग और गरीब लड़कियों को टारगेट करता था और लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाता है. पुलिस के मुताबिक, यह आगरा गैंग उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और गोवा जैसे छह राज्यों में सक्रिय है. पुलिस "ऑपरेशन अस्मिता" के तहत अब तक 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. 

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दोनों गैंग के बीच ये समानताएं

छांगुर गैंग और आगरा रैकेट के बीच अभी तक सीधा कनेक्शन नहीं मिला है, लेकिन दोनों के काम करने के तरीके और मकसद में कई समानताएं हैं जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय हैं-

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विदेशी फंडिंग का खेल : पुलिस ने दोनों ही गैंग को विदेशों से अलग-अलग फंडिंग मिलने की बात बताई है. छांगुर गैंग को दुबई और लंदन से जबकि आगरा रैकेट को कनाडा और अमेरिका से पैसा मिल रहा था. इस रकम का इस्तेमाल धर्मांतरण और कट्टरता फैलाने के लिए किया जा रहा था. 

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लालच और लव जिहाद : दोनों गैंग कमजोर वर्गों खासकर नाबालिग और गरीब लड़कियों को निशाना बनाते थे. प्रेम में फंसाकर, लालच और दबाव के जरिए कथित तौर पर धर्म परिवर्तन करवाया जाता था. आगरा वाले गैंग में तो सेफ हाउस, नए फोन और सिम देने जैसी रणनीतियां भी सामने आई हैं.

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संगठित और व्यापक नेटवर्क : दोनों गैंग का नेटवर्क कई राज्यों और देशों तक फैला हुआ मिला है. छांगुर गैंग के तार पाकिस्तान और पीएफआई से जुड़ने की बात यूपी के डीजीपी ने बताई है, वहीं आगरा गैंग के मामले भी इन्हीं से इनके तार जुड़ने का दावा किया गया है. दोनों ही सुनियोजित तरीके से, लेकिन अलग-अलग अपने काम को अंजाम दे रहे थे. 

रैडिकलाइजेशन का खतरा : दोनों गैग न सिर्फ अवैध रूप से धर्मांतरण करवाते थे बल्कि रैडिकलाइजेशन को भी बढ़ावा दे रहे थे. आगरा गैंग की कार्यप्रणाली में पुलिस को ISIS की छाप नजर आ रही है. छांगुर गैंग के भी आतंकी संगठनों से कनेक्शन का दावा किया गया है.

गरीब लड़कियों को निशाना : छांगुर और आगरा गैंग दोनों ही समाज के कमजोर तबके जैसे कि गरीब और नाबालिग लड़कियों और लोगों को टारगेट करते थे. पुलिस पता लगा रही है कि आगरा गैंग ने अब तक कितनी लड़कियों को निशाना बनाया है.