बंपर ऑफर, बोनस स्कीम... ज्वेलरी शॉप ने मुंबई में हजारों लोगों को ठगा, करोड़ों लेकर फरार हुई कंपनी

निवेशकों की नाराजगी के बीच, टोरेस के आधिकारिक यूट्यूब अकाउंट ने एक वीडियो अपलोड किया है, जिसमें दावा किया गया है कि इसके सीईओ ने ये सब किया.

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मुंबई:

मुंबई में कई दुकानों वाली एक ज्वेलरी चेन ने कथित तौर पर बड़े रिटर्न का वादा कर पोंजी योजना (Ponzi cheme) के जरिए सैकड़ों लोगों को धोखा दिया. हालांकि, टोरेस ज्वेलरी ने इसके लिए अपने सीईओ और अन्य कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया है और आरोप लगाया है कि उन्होंने एक फर्जी योजना के जरिए ग्राहकों को धोखा दिया और कुछ स्टोर में लूटपाट और तोड़फोड़ भी की.

टोरेस कंपनी के मुंबई और उसके आसपास छह स्टोर हैं. दो दिन से सैकड़ों लोग अपने पैसे वापस मांगने के लिए इसके दादर वाले स्टोर पर पहुंच रहे हैं. पुलिस ने इस फ्राड को लेकर मामला दर्ज किया है और होल्डिंग फर्म प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड, उसके दो निदेशकों, सीईओ, महाप्रबंधक और एक स्टोर प्रभारी को आरोपी बनाया है. उन पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश सहित कई आरोप लगाए गए हैं.

क्या थी योजना?

टोरेस कंपनी की दुकानें पिछले साल फरवरी में मुंबई और उसके आसपास छह स्थानों पर खुलीं. उन्होंने रत्न आभूषण बेचे और बोनस योजना भी पेश की. इस योजना के तहत, 1 लाख रुपये का निवेश करने वाले ग्राहक को 10,000 रुपये मूल्य का मोइसानाइट पत्थर वाला एक पेंडेंट मिलेगा. ग्राहकों को अब एहसास हुआ कि ये पत्थर नकली थे. साथ ही ग्राहकों को उनके निवेश पर 52 सप्ताह में 6 प्रतिशत ब्याज देने का भी वादा किया गया था. यह ब्याज दर बढ़कर 11 फीसदी हो गई. ग्राहकों ने कहा कि उन्हें पिछले साल कुछ भुगतान मिला था, लेकिन लगभग दो महीने पहले वह बंद हो गया.

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लगभग सात दिन पहले टोरेस ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट कर घोषणा की थी कि वह 5 जनवरी से पहले किए गए निवेश पर 11 प्रतिशत ब्याज देगा, जिसके बाद दर कम हो जाएगी. कंपनी ने 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज की पेशकश करके नकद भुगतान को प्रोत्साहित किया. इस कदम का उद्देश्य निवेश को बढ़ाना था. 6 जनवरी निवेशकों को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है, इसके बाद स्टोर बंद कर दिए गए.

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कंपनी ने निवेशकों को बड़े रिटर्न का वादा कर लुभाया

इन निवेशकों में से अधिकांश लोअर मिडिल क्लास से हैं. इनमें सब्जी विक्रेता और छोटे व्यापारी शामिल हैं, जिन्हें उनके निवेश पर बड़े रिटर्न के वादे से लुभाया गया था. इस योजना के तहत निवेश की गई राशि कुछ हजार रुपये से लेकर करोड़ों रुपये तक होती थी. पुलिस में शिकायत दर्ज कराने वाले सात लोगों ने कहा है कि उन्होंने 13 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था.

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एनडीटीवी ने जिन निवेशकों से बात की, उनमें से एक ने कहा कि उसके दोस्तों ने उसे इस योजना के बारे में बताया. हमें कुछ पैसे मिले भी, हम सरकार से पूछना चाहते हैं, उसे टैक्स मिला तो अब वह हमारी मदद क्यों नहीं कर रही है?

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एक अन्य निवेशक ने कहा कि वह टोरेस का दादर कार्यालय तब तक नहीं छोड़ेंगी जब तक उन्हें अपना पैसा वापस नहीं मिल जाता. उन्होंने कहा, "यह मेरी मेहनत की कमाई है. मैंने रविवार को पैसे जमा किए और फिर यह हुआ. यह कारोबार आठ-नौ महीने तक चला, सरकार कहां थी? पुलिस हमें पागल कह रही है, वे इतने समय तक कहां थे?"

हमें कंपनी के बारे में सरकार को जानकारी होने का था भरोसा - निवेशक 

यह पूछे जाने पर कि किस वजह से उन्हें इस योजना पर भरोसा हुआ, एक निवेशक ने कहा कि ब्रोशर में कंपनी का जीएसटी नंबर और सीआईएन नंबर था. मैंने सोचा कि यह इतना व्यवस्थित है, इसलिए सरकार को इसकी जानकारी है. मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि हमें ब्याज नहीं चाहिए, लेकिन हमें हमारा पैसा वापस दे दीजिए.

निवेशकों की नाराजगी के बीच, टोरेस के आधिकारिक यूट्यूब अकाउंट ने एक वीडियो अपलोड किया है, जिसमें दावा किया गया है कि इसके सीईओ ने ये सब किया और कंपनी के शोरूम में सेंध लगाने की सुविधा दी. वीडियो के वॉयसओवर में कहा गया है, "टोरेस के दो कर्मचारियों, सीईओ तौसीफ रेयाज़ और मुख्य विश्लेषक अभिषेक गुप्ता के नेतृत्व में टोरेस स्टोर्स को लूट लिया गया."

कंपनी के मालिक ने सीईओ पर लगाया पूरी साजिश का आरोप

वीडियो में लोगों को दुकानों में तोड़फोड़ करते और पैसे लूटते हुए दिखाया गया है. वॉयसओवर में इन लोगों को रेयाज़ और गुप्ता का सहयोगी बताया गया है.

इसमें कहा गया है, "पहले, हमें पता चला कि उन्होंने एक धोखाधड़ी योजना बनाई और कई महीनों तक कंपनी के पैसे को व्यवस्थित रूप से हड़प लिया. साथ ही अपने अपराध में अन्य कर्मचारियों को भी शामिल किया."

इसमें कहा गया है कि सीसीटीवी फुटेज में लगभग 100 लोगों को आभूषणों के डिब्बे तोड़ते, तिजोरियां खोलते और पैसे चुराते हुए देखा जा सकता है. टोरेस ने कहा कि वे पहले ही सबूत पुलिस को सौंप चुके हैं.

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