मां-बाप ने 4 दिन पहले जन्मे बेटे को जंगल में फेंका, दोनों सरकारी टीचर, फिर किस मजबूरी से बने हैवान

MP Crime News: प्राइमरी स्कूल टीचर मां-बाप ने जन्म के 4 दिन बाद अपने बच्चे को क्यों सुनसान जंगल में फेंका. इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया. हालांकि बच्चे की जान बच गई.

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MP News (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली:

MP News: बच्चे के जन्म पर परिवार खुशियों से भर जाता है, कोख में नौ महीने तक उसे पालकर दर्द सहने वाली मां की खुशियों का तो कोई ठिकाना ही नहीं रहता है. लेकिन कुछ वाकये ऐसे सामने आते हैं, जो हमें सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं कि क्या कोई मां इतनी भी निर्दयी हो सकती है. ऐसा ही एक वाकया मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से सामने आया, जहां मां ने जन्म के 4 दिन बाद ही अपने बच्चे को जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया. बच्चे के माता-पिता दोनों सरकारी स्कूल में टीचर हैं, तो सवाल उठा कि आखिर फिर ऐसा कदम दोनों ने क्यों उठाया. 

दोनों मां-बाप की चौथी संतान
जानकारी के मुताबिक, दोनों मां-बाप की ये चौथी संतान थी और सितंबर के आखिरी दिनों में बच्चे के जन्म के बाद वो उसे रोड घाट में जंगल में ले गए और उसे पत्थरों के बीच दबा दिया. लेकिन कहावत है ना कि जाको राखे साइयां मार सके न कोय... वहां से गुजर रहे बाइक सवार को सुनसान जंगल में बच्चे की चीख अजीब सी लगी. उसने तुरंत आसपास के लोगों और पुलिस को सूचना दी और आनन-फानन में बच्चे को अस्पताल पहुंचाया गया.  पुलिस ने आरोपी अभिभावक बबलू और राजकुमारी डंडोलिया को गिरफ्तार कर लिया है. दोनों सरकारी प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं. उनके तीन बच्चे पहले से ही हैं, जिनकी उम्र आठ साल, छह साल और चार साल की है.

पत्थरों के बीच बच्चे को दबाकर भाग निकले
दोनों ने बताया कि जन्म के चार दिन बात वो सुबह के वक्त रोड घाट के निकट जंगल के इलाके में पहुंचा और बच्चे को भारी पत्थर के बीच दबाकर भाग निकले. लेकिन अगले दिन सुबह वहां से गुजर रहे बाइक सवार और कुछ ग्रामीणों ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी तो सन्न रह गए. वो दौड़े और जब वहां जाकर देखा तो पत्थरों के बीच एक दुधमुंहे बच्चे को रोते चीखते पाया. उसे तुरंत ही मेडिकल केयर देने के बाद जिला अस्पताल ले जाया गया. बच्चा रात भर ठंड और जीव जंतुओं के बीच जिंदा रहा, ये चमत्कार से कम नहीं था.

दोनों प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक
लेकिन इस करतूत की जो वजह दोनों माता-पिता ने बताई वो सन्न करने वाली थी. आरोपी पिता ने बताया कि चौथे बच्चे के जन्म के बाद उन्हें डर था कि कहीं उनकी सरकारी नौकरी न छिन जाए. दोनों नांदवाड़ी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं. उसका कहना था कि उन्हें आशंका थी कि सरकारी नियमों के कारण कहीं चौथे बच्चे के जन्म के बाद उन्हें सस्पेंड न कर दिया जाए या नौकरी से बर्खास्त न कर दिया जाए. इसलिए 27 सितंबर को बच्चे को पत्थर के नीचे दबाकर  भाग निकले.

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मध्य प्रदेश सरकारी सेवा नियम शर्तें क्या हैं
हालांकि मध्य प्रदेश में बच्चों के जन्म से जुड़ा सरकारी नियम कुछ और ही है. मध्य प्रदेश सिविल सेवा के नियमों के अनुसार, कोई भी अभ्यर्थी जिसके दो से अधिक जीवित बच्चे हैं और उनमें से एक का जन्म 26 जनवरी 2001 के बाद हुआ हो तो वो सरकारी नौकरी के योग्य नहीं माना जाएगा. इसका मतलब है कि अगर आपके दो से ज्यादा बच्चे हैं तो आप एग्जाम में बैठने के हकदार नहीं है. नौकरी पाने के बाद अगर बच्चे होते हैं तो नौकरी से निकालने या नौकरी खो देने को लेकर इसमें कुछ नहीं कहा गया है.

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अब सरकारी नौकरी जाने का भी खतरा
स्थानीय ग्रामीणों ने इस घटना को समाज के लिए शर्मनाक धब्बा बताया है. जिले के अधिकारी अब शिक्षक को नोटिस जारी कर इस मामले में आगे कार्रवाई की बात कर रहे हैं. पुलिस सेक्शन 93 के तहत बच्चे को छोड़ देने के मामले के बाद इसमें हत्या के प्रयास की  भी जोड़ सकती है. नवजात अभी भी अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में है. हालांकि अधिकारी यह भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि स्वस्थ होने के बाद बच्चा किसे सौंपा जाए, क्योंकि मां-बाप दोनों ही जेल में हैं. दोनों के पहले ही तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो मां-बाप के जेल में होने से परेशान हैं.
 

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