देहरादून में ED ने 101 बीघा जमीन को अस्थायी रूप से किया अटैच

उत्तराखंड के कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी और अन्य पर जमीनों पर कब्जा करने का आरोप, जमीन की रजिस्ट्री 6.56 करोड़ रुपये में हुई , जबकि वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक

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उत्तराखंड के कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी और अन्य पर जमीनों पर कब्जा करने का आरोप है.
नई दिल्ली:

देहरादून में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने  मनी लॉन्ड्रिंग के तहत बीरेंद्र सिंह कंडारी और अन्य के मामले में देहरादून जिले में स्थित लगभग 101 बीघा जमीन को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है. इस जमीन की रजिस्ट्री 6.56 करोड़ रुपये में हुई , जबकि वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है. ईडी ने यह जांच उत्तराखंड के सहसपुर, देहरादून में आईपीसी, 1860 की कई धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की.

जांच के दौरान यह सामने आया कि कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद स्वर्गीय सुशीला रानी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर साजिश रचते हुए सहसपुर, देहरादून में स्थित जमीन के लिए बीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया के नाम पर दो पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) पंजीकृत किए. इसके बाद इन पीओए का उपयोग करके बीरेंद्र सिंह कंडारी, जो हरक सिंह रावत के करीबी सहयोगी हैं, ने इस जमीन को दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को नाम मात्र कीमत पर बेच दिया, जो उस इलाके में राजस्व अधिकारियों द्वारा निर्धारित सर्कल रेट से काफी कम थी.

इस जमीन का एक हिस्सा अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (DIMS) का हिस्सा है, जो पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित होता है. इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन दीप्ति रावत हैं, और यह ट्रस्ट हरक सिंह रावत के परिवार और उनके करीबियों द्वारा नियंत्रित है.

जांच में यह भी पता चला कि दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा ने बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, स्वर्गीय सुशीला रानी और अन्य लोगों की साजिश के तहत इस 101 बीघा जमीन को अपने नाम पर पंजीकृत करवाया.

प्रवर्तन निदेशालय ने इन संपत्तियों को 6.56 करोड़ रुपये के मूल्य पर अस्थायी रूप से अटैच कर दिया है, जिसका मौजूदा बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है. अटैच की गई संपत्तियों में देहरादून जिले की दो अलग-अलग जमीनें शामिल हैं. जांच अभी जारी है.

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