केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मुंबई स्थित एक निजी कंपनी और अज्ञात लोक सेवकों, अज्ञात व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की शिकायत पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. आरोप है कि निजी कंपनी ने 10 बैंकों के संघ से 1688.41 करोड़ का लोन लिया और फिर कंपनी के अकाउंट को संघ के प्रमुख बैंक यानी पंजाब नेशनल बैंक में साल 2018 में एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया. बाद में कंपनी के अकाउंट को कंसोर्टियम बैंकों के सदस्यों द्वारा धोखाधड़ी के रूप में भी घोषित किया गया था.
कंपनी को भारत में सीमेंट के निर्माण और आपूर्ति के कारोबार में शामिल बताया गया था. ऐसा आरोप था कि कर्ज लेने वाली कंपनी ने विभिन्न प्रकार के सीमेंट के निर्माण के लिए ग्राम मोरा, सूरत और गांव ठुमडी, जिला कच्छ, (गुजरात) में फील्ड सीमेंट सुविधाएं स्थापित करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक और कंसोर्टियम बैंकों के अन्य सदस्यों से संपर्क किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपियों ने कर्ज लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और सहायक कंपनियों को बड़ी राशि दी थी. कथित तौर पर स्वीकृत नियमों और शर्तों के उल्लंघन में बैंकों से प्राप्त क्रेडिट सुविधाओं को डायवर्ट किया गया था. यह भी आरोप लगाया गया था कि कंपनी ने नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में अकाउंट खोला था. उन अकाउंट में बड़ी राशि प्राप्त की थी, जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था. कथित तौर पर उक्त निजी कंपनी द्वारा शेल कंपनियों के साथ भारी मात्रा में लेनदेन किया गया था.
मामले में ये हैं आरोपी:-
(i) मैसर्स वाडराज सीमेंट लिमिटेड, मुंबई
(ii) ऋषि कमलेश अग्रवाल (प्रमोटर निदेशक)
(iii) कृष्ण गोपाल तोशनीवाल (निदेशक),
(iv) विजय प्रकाश गोपीवल्लभ शर्मा, (पेशेवर निदेशक) और
(v) अज्ञात लोक सेवक और अज्ञात व्यक्ति
आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मुंबई, जयपुर के ठिकानों पर गुरुवार को सर्च ऑपरेशन चलाया गया. सीबीआई ने इस दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और सामान बरामद किए हैं. मामले की जांच जारी है.
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