बैंक फ्रॉड केस में 47 साल बाद भगोड़ा आरोपी पकड़ा गया, साल 1978 का है मामला

आरोप था कि ब्रांच मैनेजर ने सतीश कुमार आनंद के साथ मिलकर बैंक को धोखा दिया. उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी के नाम पर फर्जी बिल और डिलीवरी की झूठी जानकारी देकर ₹5.69 लाख का लोन पास करवा लिया.

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  • सीबीआई ने 47 साल से फरार आरोपी सतीश कुमार आनंद को गिरफ्तार किया है.
  • आरोप है कि सतीश कुमार और ब्रांच मैनेजर ने मिलकर बैंक को धोखा दिया.
  • कोर्ट ने 1985 में सतीश और अशोक कुमार को 5 साल की सजा सुनाई थी.
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CBI ने 5.69 लाख रुपये के बैंक फ्रॉड मामले में 47 साल से फरार चल रहे आरोपी सतीश कुमार आनंद को गिरफ्तार कर लिया है. ये मामला साल 1978 का है और बैंक ऑफ इंडिया से जुड़ा है. CBI ने 5 मई 1978 को ये केस दर्ज किया था, जिसमें 3 लोगों को आरोपी बनाया गया था. उस समय के बैंक ब्रांच मैनेजर के अलावा सतीश कुमार आनंद  अशोक कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

क्या है मामला

आरोप था कि ब्रांच मैनेजर ने सतीश कुमार आनंद के साथ मिलकर बैंक को धोखा दिया. उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी के नाम पर फर्जी बिल और डिलीवरी की झूठी जानकारी देकर ₹5.69 लाख का लोन पास करवा लिया. इससे बैंक को नुकसान हुआ और आरोपियों को फायदा मिला. जांच के बाद, CBI ने तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. 19 जून 1985 को कोर्ट ने सतीश कुमार आनंद और अशोक कुमार को 5 साल की सजा और ₹15,000 जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि बैंक मैनेजर को बरी कर दिया गया.

फरार हो गया था आरोपी

सजा सुनाए जाने के बाद सतीश कुमार आनंद फरार हो गया.30 नवंबर 2009 को कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था. अब 47 साल बाद, CBI ने उसे दबोच लिया है और 25 जून 2025 को उसे देहरादून की स्पेशल CBI कोर्ट में पेश किया गया. यह गिरफ्तारी इस बात का साफ संकेत है कि चाहे अपराध कितना भी पुराना हो, कानून से बचना आसान नहीं है. CBI की यह कार्रवाई पुराने मामलों में भी लगातार सक्रियता का उदाहरण है.

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